बच्चे ने बनाया काले केले का चित्र, जवाब ने किया सबको हैरान : डॉ रक्षा सिंह

माइलस्टोन अकादमी के वार्षिकोत्सव ‘जेस्ट-2019’ में मुख्य अतिथि की आसंदी

Dr Raksha Singh in Milestone Academyभिलाई। एक बार किसी स्कूल में बच्चों को केले का चित्र बनाने के लिए कहा गया। सभी बच्चों ने पीले रंग का केला बनाया पर एक छात्र ने काले रंग का केला बनाया। उसके शिक्षक ने उसे इस केले के लिए कोई अंक नहीं दिया। पर जब प्रेक्षक ने उस बच्चे से इसका कारण पूछा, तो उसके जवाब ने सबको हैरान कर दिया। यह किस्सा श्रीशंकराचार्य महाविद्यालय की निदेशक सह प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह ने माइलस्टोन अकादमी के वार्षिकोत्सव ‘जेस्ट-2019’ में मुख्य अतिथि की आसंदी से सुनाया।Milestone-Zest-2019-2 Milestone-Zest-2019-3 Milestone Academy Annual Function डॉ रक्षा सिंह ने कहा कि यह बच्चा सबसे अलग था। जब उससे काले केले का कारण पूछा गया तो उसने मासूमियत से जवाब दिया कि यह सड़ा हुआ केला है। बच्चा सही था। केले का चित्र बनाते समय यह नहीं कहा गया था कि चित्र कच्चे केले का बनाना है, पके केले का बनाना है या सड़े केले का। पर हम बच्चे का आशय भांप नहीं पाए और उसके असाधारण चित्र को गलत मान बैठे। हमें बच्चों के दृष्टिकोण को समझे बिना उसे जज नहीं करना चाहिए।
डॉ रक्षा सिंह ने तितली के जन्म प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए पेरेन्ट्स को टेका संस्कृति से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि तितली के अंडे से लार्वा निकलता है जिसे कैटरपिलर कहते हैं। कैटरपिलर स्वयं को एक सख्त खोल में बंद कर लेता है जिसे प्यूपा कहते हैं। इस खोल को तोड़कर बाहर आने के लिए उसे बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पर जब वह तितली बनकर बाहर आती है तो उसकी खूबसूरती सबको भाती है। यदि हम इस खोल को तोड़ने में तितली की मदद करने की कोशिश करते हैं तो तितली की मृत्यु हो जाती है। बच्चों की प्रतिभा के साथ भी ऐसा ही है। उसे स्वाभाविक रूप से एक-एक कदम रखते हुए आगे बढ़ने दें। धक्का देकर उसे कहीं से कहीं पहुंचाने की कोशिश न करें। इससे उसकी स्वभाविक प्रतिभा नष्ट हो जाएगी।
डॉ रक्षा सिंह ने माइलस्टोन अकादमी की टीम को साधुवाद देते हुए कहा कि इतने सारे बच्चों को मंच के लिए तैयार करना एक कठिन चुनौती होती है। लोग एक या दो बच्चों को लेकर परेशान हो जाते हैं पर यहां के टीचर्स ने अधिक से अधिक बच्चों को मंच पर लाने के लिए भरपूर कोशिश की है। उन्होंने कहा कि माइलस्टोन हमेशा कुछ न कुछ नया करता रहता है। इस बार सूत्रधार की भूमिका बच्चों को दी गई। बच्चों ने आरजे बनकर न केवल लोगों को गुदगुदाया बल्कि कार्यक्रम को बांधे रखने में भी सफल हुए।

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