श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के कम्प्यूटर विभाग द्वारा अतिथि व्याख्यान का आयोजन

भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में कम्प्यूटर विभाग द्वारा ‘डिजीटल कम्प्यूटिंग’ विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। सुशील दुबे (सहायक प्रध्यापक, साई महाविद्यालय, भिलाई अतिथि वक्ता रहे। जिन्होंने छात्र-छात्राओं को ‘डिजीटल कम्प्यूटिंग’ की जानकारी देते हुए बताया कि कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी में दो बुनियादी डेटा अंतरण और संचार प्रणालियां हैं- डिजिटल और एनालॉग। एनालॉग सिस्टम में डेटा का निरंतर इनपुट और आउटपुट होता है, जबकि डिजिटल सिस्टम असतत विखंडन में जानकारी स्थानांतरित करते हैं।भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में कम्प्यूटर विभाग द्वारा ‘डिजीटल कम्प्यूटिंग’ विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। सुशील दुबे (सहायक प्रध्यापक, साई महाविद्यालय, भिलाई अतिथि वक्ता रहे। जिन्होंने छात्र-छात्राओं को ‘डिजीटल कम्प्यूटिंग’ की जानकारी देते हुए बताया कि कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी में दो बुनियादी डेटा अंतरण और संचार प्रणालियां हैं- डिजिटल और एनालॉग। एनालॉग सिस्टम में डेटा का निरंतर इनपुट और आउटपुट होता है, जबकि डिजिटल सिस्टम असतत विखंडन में जानकारी स्थानांतरित करते हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि डिजिटल डिवाइस डेटा में हेरफेर करने के लिए किसी भी संख्यात्मक प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं, वे वर्तमान में केवल एक और शून्य से मिलकर बाइनरी नंबर सिस्टम का उपयोग करते हैं। वर्ण और दशमलव संख्या सहित सभी प्रकार की जानकारी, डिजिटल उपकरणों द्वारा संसाधित होने से पहले बाइनरी नंबर सिस्टम में एन्कोडेड है।
डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग (डीएसपी) एक सिग्नल का विश्लेषण और संशोधन करने की प्रक्रिया है जो इसकी दक्षता या प्रदर्शन को बेहतर बनाने या सुधारने के लिए है। इसमें एनालॉग और डिजिटल सिग्नल के लिए विभिन्न गणितीय और कम्प्यूटेशनल एल्गोरिदम को लागू करना शामिल है ताकि मूल सिग्नल की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाले सिग्नल का उत्पादन किया जा सके।
महाविद्यालय के अतिरिक्त निदेशक डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने कम्प्यूटर विभाग के इस सफल प्रयास की सराहना की और छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल कंप्यूटर आज जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि इनका उपयोग औद्योगिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने, व्यापार डेटा का विश्लेषण और व्यवस्थित करने, वैज्ञानिक अनुसंधान और आॅटोमोबाइल और एयरक्रॉफ्ट के डिजाइन में सहायता करने और यहां तक कि फिल्मों में विशेष प्रभाव बनाने में मदद करने के लिए किया जा सकता है।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रक्षा सिंह ने कहा कि डिजिटल तकनीक ने आधुनिक जीवन के लगभग हर पहलू को बदल दिया है। यात्रा, कार्य, खरीदारी, मनोरंजन और संचार ऐसे कुछ क्षेत्र हैं, जिनमें हाल के दशकों में क्रांति हुई है।
इस अतिथि व्याख्यान में महाविद्यालय के बी.सी.ए., पीजीडीसीए एवं एम.एस.सी. (कम्प्यूटर साइंस) के सभी छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। तत्पश्चात कम्पयूटर विभाग के विभागाध्यक्ष श्री ठाकुर देवराज सिंह अतिथि वक्ता को धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस कार्यक्रम में कम्प्यूटर विभाग के प्राध्यापक मेघा देवरे, माधुरी वर्मा, सुमन जंघेल, आरती सिंह एवं जयश्री साहु सम्मिलित हुए।

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