स्वरूपानंद महाविद्यालय में विश्व हिन्दी दिवस पर परिचर्चा का आयोजन
भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग द्वारा ‘वैश्विक परिदृष्य में हिन्दी’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला थी। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिन्दी ने कहा भारत विश्व की सबसे तीव्रगति से उभरने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है भारत की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय ख्याति हिन्दी के लिये वरदान सदृष्य है साथ ही विश्व में सबसे अधिक बोले जाने वाली दूसरी भाषा है। डॉ.जयन्ती प्रसाद, नौटियाल ने भाषा शोध अध्ययन से बताया विश्व में हिन्दी जानने वालों की संख्या एक अरब दो करोड़ पच्चीस लाख दस हजार तीन सौ बावन है।
अपने आतिथ्य उद्बोधन में डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा संख्या बल के आधार पर हिन्दी विश्वभाषा है। हिन्दी की साहित्य सृजन की परंपरा भी बारह सौ साल पुरानी है इसकी शब्द संपदा विपुल है उसके पास पच्चीस लाख से ज्यादा शब्दों की सेना हैं। आज इ.एस.पी.एन. तथा स्टार स्पोर्ट जैसे खेल चैनल भी हिन्दी में कमेंट्री देने लगे हैं। हिन्दी विश्व में अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही है।
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने विश्व हिन्दी दिवस की बधाई देते हुये हिन्दी विभाग को कार्यक्रम आयोजन के लिये बधाई दी व बताया कि विश्व के 130 विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ाई जाती है फिजी में हिन्दी की अधिकाधिक भाषा का दर्जा दिया गया है इस के साथ ही नार्वे में बने भारतीय युवावास ने अपना पहला विश्व हिन्दी दिवस मनाया।
निर्णायक के रूप में उपस्थित डॉ.नीलम गांधी ने कहा वैश्विकरण के इस दौर में विश्व के लगभग सभी बड़े देशों में हिन्दी के महत्त्व को स्वीकारा जा चुका है। हिन्दी स्वयं को वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित कर रही है। भाषाओं के इस विलुप्तीकरण के दौर में हिन्दी अपने को न केवल बचाने में सफल रही है वरन् विश्व के हर कोने में पहचानी जाने लगी है। निर्णायक स.प्रा.श्रीमती मीना मिश्रा ने कहा लगभग डेढ़ हजार वर्ष पुरानी डेढ़ लाख शब्दावली को स्वयं में समाहित करने वाली भाषा हिन्दी आज न केवल साहित्य की भाषा वरन बाजार की भी भाषा बन गई हैं।
श्वेता मिश्रा बी.एड. विद्यार्थी ने अपने उद्बोधन में कहा आज भूमण्डली करण के दौर में जब भाशाई महत्व को बाजार से जोड़कर देखने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुंकी विश्व की पराजित भाषायें अपनी अस्मिता बनाये रखने के लिय संघर्ष करती दिखाई दे रही है वही हिन्दी अपना वर्चस्व कायम रखे हुये है ।
गौरी मिश्राा बी.कॉम. अंतिम वर्ष ने कहा विश्व के अधिकांश देशों में हिन्दी अध्ययन अध्यापन की सुविधा है अकेले अमेरिका में ही लगभग एक सौ पचास से ज्यादा शिक्षण संस्थाओं में पठन पाठन हो रहा है।
शशांक बी.कॉम. अंतिम वर्ष ने बताया हिन्दी भारत की ही राष्ट्रभाषा नहीं है अपितु पाकिस्तान, नेपाल, त्रिनिदाद, मुरीनाम, बांग्लादेष, फिजी, मौरीशस, गुयाना, की भी संपर्क भाषा है।
कार्यक्रम में मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिन्दी ने किया निर्णायक के रूप में डॉ. नीलम गांधी विभागाध्यक्ष वाणिज्य वे स.प्रा. श्रीमती मीना मिश्रा विभागाध्यक्ष गणित उपस्थित हुए। कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र-छात्राऐं उपस्थित हुये।