हमारे देश की शिक्षा पद्धति तीन घण्टों की परीक्षा पर आधारित : डॉ अखिलेश

National Seminar on imparting quality educationभिलाई। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय तथा जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से जगद्गुरू शंकराचार्य कालेज आॅफ एजुकेशन के तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन ‘नवोन्मेषी व रचनात्मक शिक्षा एवं शिक्षण’ विषय पर किया गया। राष्ट्रीय स्पीकर के रूप में शिक्षाविद मनोवैज्ञानिक डॉ अखिलेश श्रीवास्तव उपस्थित रहे। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में हेमचंद यादव विवि की कुलपति डॉ अरुना पलटा थीं। अध्यक्षता गंगाजली एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष आईपी मिश्रा ने किया। विशेष अतिथि के रूप में श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा, श्री शंकराचार्य एजुकेशन कैम्पस की सीओओ डॉ मोनिषा शर्मा तथा प्राचार्य डॉ व्ही सुजाता उपस्थित थे। अतिथियों ने महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका अंजोर के प्रथम संस्करण का विमोचन किया।
मुख्य अतिथि डॉ अरुनाने कहा कि अगर समय के साथ चलना है तो शिक्षा में नवाचार लाना ही होगा तथा शिक्षक को स्वयं निर्मित टीचिंग लर्निंग मटेरियल का प्रयोग करना होगा ताकि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सुगम व प्रभावी बनाया जा सके।
महाविद्यालय के संस्थापक एवं अध्यक्ष आईपी मिश्रा ने गुरू के महत्व के बारे में बताया तथा कहा कि विद्यार्थियों को गुरू के सान्निध्य में ही विनम्रतापूर्वक शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। डॉ दीपक शर्मा ने प्राचीन भारतीय विदूषकों की उपलब्धियों के बार में बताया। उन्होंने कहा कि आगे भी हमारे देश में ऐसे विदूषकों की आवश्यकता है जो इन छात्रों में ही कहीं छुपा है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ वी सुजाता ने नवोन्मेषी एवं रचनात्मक शिक्षा एवं शिक्षण की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर शिक्षक में नवाचार की अपार संभावनाएं होती हैं लेकिन व्यवहारिक रूप से इस पर ध्यान नहीं दिये जाने की वजह से वह केवल बच्चों को परीक्षा पास कराने का जरिया समझा जाता है।
द्वितीय तकनीकी सत्र में राष्ट्रीय स्पीकर शिक्षाविद् डॉ अखिलेश श्रीवास्तव ने सारगर्भित की-नोट एड्रेस में कहा कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को इस योग्य बनाना है कि वह काम, क्रोध, लोभ एवं अहंकार पर विजय प्राप्त कर सके। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर चिन्ता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश की शिक्षा पद्धति उन तीन घण्टों की परीक्षा पर आधारित है जो बच्चों के भविष्य के निर्धारक बन जाते हैं।
डाइट के प्राचार्य डी के बघेल ने बहुभाषा शिक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बच्चों को प्राथमिक स्तर पर उनकी मातृभाषा में ही शिक्षा दी जानी चाहिए। सेमीनार के द्वितीय सत्र में चेयर पर्सन डॉ सुमनलता सक्सेना, डॉ पुष्पलता शर्मा ने नवाचार पर अपना दृष्टिकोण रखा।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ सीएल देवांगन ने प्रतिभागियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। संचालन श्रद्धा भारद्वाज ने किया। आभार प्रदर्शन विभागाध्यक्ष मधुमिता सरकार ने किया। आयोजन सचिव रजनी सिंह की इसमें विशेष भूमिका रही।

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