Let's Never Get Married

TEDxRCET : जिन्दगी को मकसद मिले तो हर गम हो जाता है छोटा : अर्पित

संतोष रूंगटा समूह के टेडएक्स में ‘लेट अस नेवर गेट मैरीड’ के लेखक से मुलाकात

भिलाई। जीवन को एक मकसद दे देना हजार दुश्वारियों का अंत कर सकता है। बलात्कार के बाद तृषा अपना अंत करना चाहती है पर पढ़ाने की अपनी जिजीविषा उसे रोकती है और फिर बच्चों को पढ़ाना ही उसके जीवन का मकसद बन जाता है। लोहित की प्रेमिका का रेप हो जाता है और वह उसकी जिन्दगी से गायब हो जाती है। लोहित अपराध को होने से पहले रोकने की दिशा में स्वयं को समर्पित कर देता है और यही उसके जीवन का मकसद बन जाता है। हादसे के तीन वर्ष बाद उनकी मुलाकात नाटकीय परिस्थिति में होती है और वे इस शर्त के साथ साथ रहने को तैयार हो जाते हैं कि वे कभी विवाह नहीं करेंगे। यही कथानक है ‘लेट अस नेवर गेट मैरीड’ का। इसे लिखा है युवा इंजीनियर अर्पित अग्रवाल ने।संतोष रूंगटा ग्रुप द्वारा आयोजित टेड एक्स आरसीईटी के दूसरे सीजन में अर्पित से मुलाकात हो गई। अर्पित ने इसी समूह के कालेज से इंजीनियरिंग की है। कैम्पस में ही प्लेसमेंट हो गया और वह पुणे पहुंच गया। उसके माता पिता तिल्दा में ही थे। उन्हें अकेलापन सालने लगा था। अर्पित ने फैसला लिया और पुणे छोड़कर घर लौट आया। फिर उसने अंग्रेजी में उपन्यास लिखना शुरू कर दिया। ‘लेट अस नेवर…’ उसका तीसरा उपन्यास है।
उपन्यास की शैली समकालीन अन्य अंग्रेजी साहित्यकारों जैसी है। कहानी बांध कर रखती है। तकनीकी शिक्षा का स्पष्ट प्रभाव है। आधुनिक युवा के बड़े सपनों की झलक मिलती है। पुलिस के बर्ताव से लेकर राजनीतिज्ञों की मजबूरियों को भी उकेरने की कोशिश की गई है। विवाह जैसी संस्था को लेकर आज के युवा की सोच को भी जगह मिली है। हालांकि बलात्कार को विवाह नहीं करने की वजह मानना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। सुखद संयोगों को अगर हाशिए पर डाल दें तो कहानी रोमांचित भी करती है और प्रेरित भी।
लोहित एक युवा टेकी है जिसका स्टार्टअप फेसबुक खरीदना चाहता है। वह यूएस में सेटल होना चाहता है। उसकी दोस्त तृषा एक टीचर है। दोनों की शादी होने ही वाली होती है कि तृषा का रेप हो जाता है और वह अपने माता पिता के साथ गायब हो जाती है। वह एक चिट्ठी छोड़ जाती है कि वह अपने जीवन का अंत कर रही है।
लोहित इसके बाद पुलिस से लेकर गृहमंत्री तक दौड़ लगाता है पर कुछ नहीं होता। गृहमंत्री को मजबूर करने के लिए वह एक हथकंडा अपनाता है जो सफल हो जाता है। लोहित चाहता है कि रेप जैसे असंगठित अपराधों को होने से पहले रोका जाए। इसके लिए वह एक टेक्नीकल साल्यूशन लेकर आता है। पर सरकार के हाथ बंधे हैं। लोहित अपना स्टार्टअप फेसबुक को बेच कर उस पैसे से योजना को आगे बढ़ाता है। फिर केन्द्र सरकार की भी मदद मिल जाती है। इसके आगे सुखद संयोगों का सिलसिला शुरू हो जाता है।
अर्पित अग्रवाल ने इससे पहले ‘डीयर लाइफ गेट वेल सून’ और ‘टेक माइ हार्ट फॉर एवर’ नाम से दो उपन्यास लिखे हैं। यह उनकी तीसरी कृति है।

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