Kidney cancer can be cured if diagnosed early

जल्दी पकड़ में आए तो किडनी कैंसर का इलाज संभव : डॉ देबता

भिलाई। किडनी कैंसर यदि आरंभिक चरण में पकड़ में आ जाए तो इसका पूर्ण इलाज संभव है। तीसरे या चौथे स्टेज में बहुत ज्यादा विकल्प नहीं बचते। देश में प्रतिवर्ष किडनी कैंसर के 2 लाख से अधिक नए मामले सामने आते हैं। किडनी ट्रांसप्लांट की स्थिति यह है कि 10 जरूरतमंदों पर एक ही किडनी उपलब्ध हो पाती है। यह बातें विश्व किडनी कैंसर दिवस पर हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ प्रेमराज देबता ने कहीं।डॉ देबता ने बताया कि किडनी कैंसर को आम तौर पर धूम्रपान और मोटापे से जोड़ कर देखा जाता है। इसके अलावा आकुपेशनल खतरों में एसबेस्टस, कैडमियम, लेड (शीशा) का एक्सपोजर भी इसके खतरे को बढ़ा देता है। लंबे समय तक डायलिसिस पर रहने वाले मरीजों को भी किडनी कैंसर का खतरा होता है। यह आनुवांशिक भी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि मूत्र में रक्त आने, रीढ़ के दोनों तरफ कमर से कुछ ऊपर दर्द होने पर, बुखार, रात को पसीना आना, एकाएक वजन का कम होना आदि कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में तत्काल यूरोलॉजिस्ट से सम्पर्क करना चाहिए। कैंसर यदि किडनी के एक हिस्से में हो तो उस हिस्से को काटकर अलग किया जा सकता है। पूरी किडनी और मूत्रनली चपेट में हो तो उन्हें भी सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है। पर यदि कैंसर मेटास्टैटिक (दूसरे अंगों तक फैलना) हो गया हो तो बहुत ज्यादा विकल्प नहीं रह जाते। ऐसी स्थिति में केवल कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी का ही सहारा रह जाता है।
उन्होंने कहा कि किडनी रोग के प्रति सतर्कता और बचाव के उपाय करना ही श्रेष्ठ है। अत्यधिक वजन से छुटाकारा पाने की कोशिश करना चाहिए। साथ ही धूम्रपान से परहेज करना चाहिए। किड़नी कैंसर का खतरा 55-60 से अधिक उम्र के लोगों में बहुत ज्यादा होता है।

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