A balanced diet can prevent Heart Problems

ज्यादा लंबा जीते हैं कम बीपी वाले, बशर्ते… : डॉ श्रीवास्तव

भिलाई। कम बीपी वाले अकसर ज्यादा लंबा जीते हैं बशर्ते की उन्हें लो बीपी के कारण चक्कर न आ रहे हों। इसी तरह दिल की धड़कनों की धीमी रफ्तार भी सेहत के लिए अच्छी होती है बशर्ते की वह लगातार ऊपर नीचे न हो रही हो। उक्त बातें प्रसिद्ध हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ स्मित श्रीवास्तव ने आज कहीं। वे हेमचंद यादव विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सात दिवसीय ऑनलाइन स्वास्थ्य व्याख्यान माला को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आज दूसरा दिन था।डॉ श्रीवास्तव ने हृदय रोग एवं उसमें खानपान की भूमिका पर अपने व्याख्यान को केन्द्रित रखा। पं. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज रायपुर के एडवांस्ड कार्डियक इंटरवेंशन विभाग के अध्यक्ष एवं बीआर अम्बेडकर अस्पताल के हृदय विभाग के प्रमुख डॉ स्मित श्रीवास्तव ने कहा कि वे स्वयं नहीं चाहते कि हृदय रोगों के कारण किसी को टर्शरी केयर सेन्टर जाना पड़े। ऐसा संभव है पर इसके लिए थोड़ा लाइफ स्टाइल मोडिफिकेशन के साथ-साथ स्वस्थ खान-पान को अपनाना होगा।
डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि हृदय रोगों से बचाव के लिए डाइट को लेकर विशेषज्ञों के बीच काफी बहस होती है। पर इससे जानकारी परिष्कृत हुई है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में एक तिहाई लोगों की मौत दिल की बीमारी से होती है। कोरोना काल में भी अधिकांश मौतें हृदयगति रूकने के कारण ही हुई। बेहतर खान पान और लाइफ स्टाइल चेंज सभी के लिए जरूरी है फिर चाहे उन्हें जिन्हें दिल की बीमारी हो या अब तक वे बचे हुए हों।
उन्होंने बताया कि पौराणिक काल में भोजन व्यवस्था उस समय के हिसाब से थी। लोगों को संक्रमणों के अलावा अकाल और भूख का भी सामना करना पड़ता था। इसलिए अतिरिक्त भोजन की व्यवस्था थी ताकि कुछ चर्बी पेट में जमी रहे और आड़े वक्त में काम आए। पर आज हालात ऐसे नहीं हैं। इसलिए भोजन को नए सिरे से व्यवस्थित करना जरूरी हो गया है।
भोजन में फल एवं सब्जियों को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक भी घर में पहला सवाल यही होता था कि आज सब्जी क्या बनेगी। यदि हम तीनों वक्त के भोजन का एक हिस्सा फल एवं सब्जियों का रखते हैं तो हृदय रोग होने की संभावना 27 प्रतिशत तक कम हो जाती है। 2-5 हिस्से फ्रूट्स के और 2-3 हिस्से वेजिटेबल के होने चाहिए। चोकर सहित आटे का प्रयोग करने से भी रिस्क 27 से 30 फीसदी रिस्क कम हो जाता है।
महिलाओं में हृदय रोगों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 35 से 50 तक महिलाओं में हृदय रोगों का खतरा 10 फीसदी तक कम होता है। पर इसके बाद एस्ट्रोजन कम होने लगता है और हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है। एस्ट्रोजन सप्लीमेंट का कोई फायदा नहीं हुआ उल्टे इससे ब्रेस्ट कैंसर की संभावना बढ़ गई। ऐसे समय में फाइटो एस्ट्रोजन्स ज्यादा काम के साबित हुए। उन्होंने बताया कि संतरे का गूदा साल्यूबल फाइबर होता है जो एलडीएल को घटाता है।
ओमेगा3 फैटी एसिड खून को पतला करने और धमनियों की दीवारों को स्वस्थ रखने का काम करती है। यह मछली में मिलती है। इसे कैप्सूल के रूप में लेने पर ज्यादा फायदा नहीं होता। इसी तरह प्रतिदिन दो पेग शराब पीनी हृदय रोगों से बचाव करता है। कभी कभी या हफ्ते में एक बार शराब पीने वालों को कोई लाभ नहीं होता। पर हम इसे प्रेस्क्राइब नहीं कर सकते क्योंकि लोग इसकी मात्रा बढ़ाते चले जाते हैं जो अंततः नुकसान करती है। पुरुषों के लिए प्रतिदिन 30 एमएल के दो पेग और महिलाओं के लिए एक पेग अच्छा रहता है।
ट्रांसफैट को सबसे ज्यादा खतरनाक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह जले हुए तेल का परिणाम है। समोसा या तला भुना खाने वालों को इसका खतरा ज्यादा होता है। पर अब इसे लेकर जागरूकता बढ़ी है।
तेल जलाने पर काला धुआं निकलने पर ट्रांसफैट बनता है जो मोम जैसा होता है और नसों में जमा होने लगता है। ट्रांसफैट को हटाना मुश्किल होता है। यह एक बार जम गया तो जम गया। इसलिए अब खाद्य पदार्थों के पैकेट पर कोलेस्ट्रॉल के साथ ही ट्रांसफैट फ्री लिखना भी कम्पल्सरी हो गया है।
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति एवं न्यूट्रीशन विशेषज्ञ डॉ अरुणा पल्टा ने कहा कि सरल शब्दों में इसे यूं कहा जाता है कि अपनी थाली को इंद्रधनुषी बनाएं। अलग-अलग रंग के फल एवं सब्जियों का खूब प्रयोग करें। मौसमी फलों का इसमें समावेश हो। फलों की कीमत उसकी गुणवत्ता तय नहीं करते। उन्होंने कहा कि सुबह सिट्रस फ्रूट (खट्टे फल) खाना अच्छा रहता है क्योंकि ये पेट को अल्कलाइन बना देते हैं और एसिडिटी से बचाते हैं। तेलों के उपयोग को लेकर उन्होंने कहा कि या तो तेल बदल-बदल कर उपयोग में लाएं या फिर तेलों को ब्लेंड कर लें। इससे सभी तेलों का फायदा मिल जाएगा और संभावित नुकसान भी कम होगा। उन्होंने बेहतर खान-पान के साथ ही प्रतिदिन कम से कम 40 मिनट तक वर्जिश करने की भी सलाह लोगों को दी।
आरंभ में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने डॉ स्मित श्रीवास्तव का परिचय प्रदान किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए उन्होंने बताया कि आयोजन के तीसरे दिन कल 8 जून को शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. अनूप वर्मा का व्याख्यान होगा। यह व्याख्यान सुबह 11 बजे प्रारंभ हो जाएगा।

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