Sero positivity will save from

तीसरी लहर से इस तरह बचे रहेंगे नौनिहाल : डॉ कौशिक

भिलाई। तीसरी लहर को लेकर देशभर में तैयारियां तेज हो गई हैं। इस लहर में 0-12 साल के बच्चों के प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। पर इस बीच अच्छी खबर यह है कि देश के चुनिन्दा राज्यों में कराए गए सर्वे में बच्चों में सीरो पाजीटिविटी का अच्छा स्तर देखने को मिला है। सीरो पाजिटिव बच्चों में कोरोना के खतरनाक होने की संभावना काफी कम हो जाती है। उक्त बातें हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के पल्मनोलॉजिस्ट एवं कोविड टीम के प्रभारी डॉ प्रतीक कौशिक ने आज कहीं। उन्होंने बताया कि सीरो पॉजिटिवटी को ऐसे समझा जा सकता है कि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी पाई गई है। पांच राज्यों में कराए गए इस सर्वे में 10 हजार बच्चों के नमूने लिये गये। दक्षिण दिल्ली की घनी आबादी वाले क्षेत्रों में जहां सीरो पॉजिटिविटी 74.7 प्रतिशत तक मिली वहीं फरीदाबाद में यह 59.3 तथा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में यह 87.9 प्रतिशत के स्तर पर था। यह स्थिति बेहद आशाजनक है।
डॉ कौशिक ने कहा कि कोविड काल में वही मरीज बेहद गंभीर स्थिति तक जा पहुंचे या कालकवलित हो गए जिनकी सीरोपॉजिटिविटी बहुत कम हो गई थी। ऐसे मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम हो जाती है। रोगों से लड़ने वाला शरीर का मेकानिज्म बेकाबू हो जाता है और स्वयं अपने ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। मेडिकल भाषा में इसे साइटाकाइन स्टॉर्म कहते हैं। जब भी इस स्थिति का अंदेशा होता है तो आक्रामक इलाज जरूरी हो जाता है। ऐसे मरीज को बचाना एक कठिन चुनौती बन जाती है और सफलता का प्रतिशत भी बहुत कम होता है।
हाइटेक के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश देवांगन ने कोविड-19 की तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका अब तक कोई एविडेंस नहीं है। पर यदि घर के बड़ों को संक्रमण होगा तो औरों की तरह वे भी संक्रमित हो सकते हैं। फिलहाल बच्चों की पढ़ाई और परीक्षा ऑनलाइन हो रही है। इससे खतरा कम हुआ है। संक्रमण के बाद बच्चे यदि सीरो पॉजिटिव हो गए हैं तो उनके गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना काफी कम हो जाती है। उन्हें अलग से कोई खतरा नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *