भूजल संरक्षण में लेगे एनएसएस और एनसीसी कैडेट्स की मदद
दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के सभी विज्ञान विभागों द्वारा आईक्यूएसी के तत्वावधान में वर्ल्ड ओशन डे के उपलक्ष्य में जल संरक्षण पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन मुख्य रूप से शिक्षकों, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों एवं एन.सी.सी. तथा एन.एस.एस. कैडेट्स में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से किया गया। एन.सी.सी. तथा एन.एस.एस. कैडेट्स को कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया, ताकि उन्हें जल संरक्षण से संबंधित बारीरिकों से अवगत कराकर इनके माध्यम से समाज के ग्रामीण तबको तक इस गंभीर विषय के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जा सके। मुख्य वक्ता डॉ राकेश देवांगन, साइंटिस्ट “सी” सेन्ट्रल ग्राउण्ड वाटर बोर्ड, रायपुर ने कृत्रिम वाटर रिचार्ज में आने वाले समस्याओं एवं हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विस्तार पूर्वक समझाया कि भूजल संरक्षण हेतु किए जाने वाले विभिन्न उपायों के दौरान भूजल को प्रदूषण से बचाने हेतु हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। डॉ देवांगन ने बताया कि यदि हम प्रदूषित जल को बिना उपचारित किए रिचार्ज कर भूजल में मिश्रित करते है, तो हमारा सम्पूर्ण भूजल स्रोत प्रदूषित हो जायेगा और फिर इसका उपचार करना असंभव होगा।
कार्यक्रम के द्वितीय वक्ता डॉ प्रशांत श्रीवास्तव, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग ने वर्षा जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन पर बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्षा जल संरक्षण एवं संचयन हेतु किसी विशेष संरचना की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि हम पुराने कुएं, हैण्डपंप, रिजार्च पिट आदि का उपयोग करके वर्षा जल को वापस भूजल तक पहुंचा कर भूजल का स्तर कम होने से रोक सकते है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि एक घर के छत पर बरसने वाले वर्षा जल को हम एकत्रित करें, तो यह विभिन्न क्रियाकलापों में एक परिवार की लगभग साढ़े चार महीने तक जल की आपूर्ति कर सकता है। अतः हमें वर्षाजल के संचयन के संबंध में गंभीरतापूर्वक उपाय करने की आवष्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. एस.डी. देशमुख ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अजय कुमार सिंह ने किया।