Weater forecast color codes decoded

मौसम संबंधी रंगीन एलर्ट को ऐसे करें डीकोड – डॉ श्रीवास्तव

दुर्ग। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) द्वारा समय-समय पर मौसम संबंधी जारी किये जाने वाले रंगीन एलर्ट की जानकारी प्रत्येक नागरिक को होनी चाहिये। वर्तमान में महाराष्ट्र के कई शहरों तथा महानगरों जैसे मुंबई एवं दिल्ली एनसीआर में यलो तथा आरेंज अलर्ट जारी किया गया है। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने आम जनों के लिए इस कोडिंग का खुलासा किया है। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि इन कलर कोड्स को समझना प्रत्येक नागरिक के लिए जरूरी है ताकि वह वक्त रहने सावधान हो सके। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे अलर्ट के रंगों का गाढ़ापन बढ़ता है वैसे वैसे बारिश की संभावना भीषण से भीषणतम की ओर इशारा करती है। यलो अलर्ट को सबसे कम नुकसान देह तथा रेड अलर्ट को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाला माना गया है। यलो अलर्ट का तात्पर्य होता है नागरिक को सावधान करना कि आने वाले तीन चार दिनों में भीषण वर्षा हो सकती है। अतः वह अपनी यात्रा में परिवर्तन एवं अन्य आवश्यक उपाय कर स्वयं एवं जन-धन को सुरक्षित करने हेतु समुचित प्रबंध कर लेवे। बारिश की तीव्रता तथा मात्रा के आधार पर जब किसी स्थान अथवा शहर में एक घंटे की अवधि में लगभग 15 मिमीटर बारिश होने की संभावना हो तो वहां यलो अलर्ट जारी किया जाता है।
डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि जहां तक आरेंज अलर्ट का प्रश्न है तो यह यलो अलर्ट की तुलना में ज्यादा भीषण बारिश का सूचक है। इसमें जन-धन हानि की संभावना प्रबल होती है तथा कई स्थलों पर बाढ़ की स्थिति भी निर्मित हो सकती है। वर्तमान में मुंबई में आरेंज अलर्ट घोषित किया गया है इसका तात्पय है कि वहां जन-धन की हानि की संभावना के साथ-साथ एक घंटे में लगभग 15 मिमी से 30 मिमी बारिश हो सकती है। आरेंज अलर्ट वाले क्षेत्रों में लोगों को सामान्यतः आने घरों पर ही सुरक्षित रहना चाहिये क्योकि इस दौरान वायुयान के आवाजाही पर रोक, रेल्वे ट्रैक को नुकसान तथा जगह-जगह जल जमाव के कारण ‘‘वाटर लागिंग‘‘ की समस्या उत्पन्न हो जाती है। मछुवारों को भी समुद्र में न जाने की सलाह दी जाती है।
वर्षा की भीषणतम स्थिति का सूचक होता है ‘‘रेड अलर्ट‘‘। इस अलर्ट का तात्पर्य होता है कि वर्षा की तीव्रता एवं मात्रा इतनी ज्यादा होगी कि सामान्य जनमानस, धन, चल-अचल संपत्ति, बांध आदि को नुकसान पहुंचने की प्रबल संभावना है। रेड अलर्ट वाले क्षेत्रों में एक घंटे में 30 मिमी से ज्यादा बारिश होने की प्रबल संभावना होती है। पर्वतीय प्रदेशों जैसे उत्तराखंड़, हिमाचल प्रदेश, आदि में बादल फटने जैसी घटनाओें के कारण एक ही स्थान पर बड़ी मात्रा में वर्षा का जाल एकत्रित हो जाता है और इसी से नदियों के जल स्तर में एकाएक वृद्धि होने पर समीपर्वर्ता गावों के निवासी, पशु तथा मकानों को भी नुकसान पहुंचता है।
डॉ श्रीवास्तव ने सभी से आग्रह किया कि हम सभी यदि मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट के रंग के अनुसार अपनी प्रारंभिक तैयारी तथा शासन के गइडलाइन का कड़ाई से पालन करें तो जन धन की काफी कम हानि होगी।

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