Research work in English

साइंस कालेज में सात दिवसीय एफडीपी का समापन

दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग एवं सीएचएम महाविद्यालय उल्लास नगर मुंबई, के अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वधान में इंगलिश एण्ड इंटरडिसीपलीनरी पैराडाईम इन रीसर्च पर 25 सले 321 मई तक सात दिवसीय ऑनलाईन फैकल्टी डेविलपमेंट प्रोग्राम का समापन हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अंग्रेजी विषय में अंतर्रविषयक शोध मापदण्ड पर चर्चा तथा शोधार्थियों एवं शोध विशेषज्ञों को शोध संबंधी विषयों पर विशेष जानकारी उपलब्ध कराना था। कार्यक्रम के उद्धाटन सत्र में डॉ आरएन सिंह, प्राचार्य शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग ने अपने उद्बोधन में यह आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में भी दोनों महाविद्यालय इसी तरह के गरिमा पूर्ण कार्यक्रम आयोजित करते रहेंगे। वहीं डॉ मंजू लालवानी पाठक, प्राचार्य सीएचएम महाविद्यालय उल्लास नगर मुंबई ने आयोजकों को शुभकामनाएं दीं।
प्रथम दिवस पर मुख्य वक्ता पूना स्थित आइएआईएसी के निदेशक डॉ अशोक थारोट ने शोध प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए शोध विषय का चयन एवं उसकी
पृष्ठ भूमि के अध्ययन की आवश्यकता, रेफरेंस बुक एवं वेब रिसोर्सेस के सही चयन पर प्रभावी शाली से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के दूसरे दिन नागपुर के हिसलोप कॉलेज के एसोसिसेट प्रोफेसर डॉ प्रांतिक बेनर्जी ने ट्रामा सहित्य पर केन्द्रिक अपने वक्तव्य में बलीडिंग हिस्ट्रीज हीलिंग स्टोरीजः द ट्रामा ऑफ फादर एण्ड सन्स मदर्स एण्ड डाटर्स पर अत्याधिक रोचक प्रस्तुति देते हुये जेनरेशनल इंटर जेनरेशनल एण्ड हिस्टोरिकल ट्रामा पर साहित्य लेखन के माध्यम से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के तीसरे दिन मुंबई के वजे महाविद्यालय से सेवानिवृत्त डॉ नीलाकशी राय ने फैमिनिस्मः एमरजिंग एरियास आफ रीसर्च पर अपने वक्तव्य में फेमिनिजम से जुड़ी भांतियों को रेखांकित करते हुये परिभाषित एवं वर्गीकृत किया।
वजे महाविद्यालय के डॉ दिनेश नायर ने कार्यक्रम के चौथे दिन फ्यूचर थियोरी: ट्रैजेक्टरीज एण्ड एप्रोचेस फार इन्टरडिसिप्लिनरी रीसर्च पर व्याख्यान दिया। उनका व्याख्यान फ्यूचर थियोरी पर आधारित था जिसमें उन्होंने वाई नये थयोरिष्ट पर एवं उनकी थियोरी की विस्तार से विवेचना की।
पांचवे दिन डॉ पुतु साठे एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय के रीसर्च सेन्टर की
विभागाध्यक्ष ने नोटस आन रीडग दलित कल्चरल आरटक्यिूलेशनस पर अपने प्रभावी व्याख्यान द्वारा दलित साहित्य का औपचारिक अध्ययन में बदलाव व सुधार लाने हेतु जोर दिया।
समापन सत्र. में विषय विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किये। प्रतिभागियों ने विषय वस्तु संबंधित अपना जिज्ञासाओं का समाधान पाया। प्रतिदिन सत्र के अंत में प्रश्नोतरी काल में विशेषज्ञयों द्वारा प्रतिभागियों की जिज्ञासा का निवारण किया गया। मंच संचालन दोनों महाविद्यालया के शोधार्थियों द्वारा किया गया। इस कार्य क्रम में 22 राज्यों, 2 यूनियन टेरिटरी सहित 300 से अधिक प्रतिभागयिों ने भाग लिया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में साईस कालेज के अंग्रेजी विभाग की वरिष्ट प्राध्यापक डॉ सोमाली गुप्ता एवं सीएचएम महाविद्यालय उल्लास नगर की डॉ प्रतिमा दास की अहम भूमिका रही।

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