सिद्ध मंत्रों ने प्रशस्त किया प्रगति का मार्ग – डॉ अलका मेश्राम
भिलाई। इंदिरा गांधी शासकीय कला एवं वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 7 दिवसीय ‘फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम’ के अन्तर्गत ‘मॉडल्स ऑफ सेल्फ डेवलपमेंट’ पर ‘मन्त्राणाम रोगेषु प्रभाव:’ एवं ‘हिन्दी पत्रकारिता और साहित्य का समाज के विकास में योगदान’ विषय पर वर्चुअल वेबीनार का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अलका मेश्राम ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा सिद्ध मंत्रों ने भारतीय समाज को सभ्यता की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है।कार्यक्रम में विद्वान वक्ताओं ने स्वस्थ रहने के लिए भारतीय मंत्रों का महत्व और उपयोगिता तथा समाज के विकास में पत्रकारिता का योगदान के विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रोग्राम को-आर्डिनेटर डॉ कैलाश शर्मा द्वारा प्राचार्य एवं संरक्षक डॉ. अलका मेश्राम, कन्वीनर डॉ. एस. के बोहरे, को- कन्वीनर डॉ. रीतेश अग्रवाल, आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. संजय दास, ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रो. महेश कुमार अलेन्द्र, तकनीक प्रबंधक प्रो. सुरेश कुमार ठाकुर, एक्जीक्यूटिव कमेटी, वर्किंग कमेटी तथा महाविद्यालय परिवार की ओर से आमंत्रित अतिथि वक्ताओ एवं पंजीकृत प्रतिभागी प्राध्यापकों का स्वागत किया गया ।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अलका मेश्राम ने ‘फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम’ की प्रासंगिकता के साथ विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि मन्त्रों का प्रभाव निस्संदेह मानव जीवन पर पड़ता है। ये जीवनदायिनी मंत्र हमारे प्राचीन ग्रंथों में उपलब्ध हैं। मानसिक एवं शारीरिक रोग निवारण में इन मंत्रों की सकारात्मक भूमिका है। उन्होंने गायत्री मंत्र का भावानुवाद भी किया।
द्वितीय दिवस में प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि डॉ बहुरन सिह पटेल, सहायक प्राध्यापक, व्याकरण शास्त्र ने कहा कि वर्तमान समय में भी मन्त्रों की प्रासंगिकता है। विशेष रूप से गायत्री मंत्र, शिव संकल्प मंत्र, महामृत्युंजय मन्त्र, हिरण्यगर्भ आदि मन्त्र मानव जीवन के त्रिविध दुखों के निवारण के साथ ही रोगों के दुष्प्रभाव से मुक्ति का मार्ग है। उन्होंने मंत्रों के औचित्य पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि पत्रकार, समीक्षक एवं विधि सलाहकार अशोक त्रिपाठी ने ‘वर्तमान परिस्थितियों में सोशल मीडिया एवं समाचार पत्र पत्रिका की उपयोगिता एवं समाज में उसकी भूमिका’ पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को मीडिया के लोगों से बहुत अधिक उम्मीदें रहती है कि उनकी समस्याएं बातें कठिनाइयों को शासन-प्रशासन, के साथ जन जन, तक पहुंचाने का काम किया जाएगा।मीडिया से जुड़े लोगों को भी इन उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करनी चाहिए।
अंत में, हिंदी की सहायक प्राध्यापक कौशल्या शास्त्री ने अतिथि वक्तागण एवं समस्त प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।