स्वरूपानंद कॉलेज में योग दिवस पर वर्चुअल सूर्य नमस्कार
भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में पन्द्रह दिवसीय योग सर्टिफिकेट कोर्स का समापन एवं अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर ऑनलाईन सूर्य नमस्कार का सफल आयोजन किया गया। विश्व योग दिवस के अवसर पर प्राचार्य, प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों ने प्रातः सात बजे वर्चुअल सूर्य नमस्कार किया। मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ दीपक शर्मा ने कहा कि भारत योग की भूमि है और योग के माध्यम से ना केवल हम स्वस्थ तन बल्कि मन भी स्वस्थ रहता है। प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि हम सभी संकल्पित हो कर योग को अपने दिन चर्चा में शामिल करे तो हम बहुत सी बिमारियों से निजात पा सकते है।योग सर्टिफिकेट कोर्स का संचालन स्वावलंबी योग अकादमी के साथ हुये एमओयू के तहत किया गया जिसमें योग प्रशिक्षक आनंद सिंह राजपूत, विजय राजपूत एवं संगीता तिवारी ने प्रशिक्षण प्रदान किया।
प्रतिभागियों को दैनिक जीवन में योग के लाभ की जानकारी देते हुए खान-पान की समझाइश दी गई। विभिन्न बिमारियों का वर्णन करते हुए योग के माध्यम से उनका निवारण बताया गया। बंध, मुद्रा, प्राणायाम, नाड़ी-शोधन, ध्यान, आसान, सूर्य नमस्कार सतर्कम आदि योग का अभ्यास काराया गया।
सैद्धांतिक कक्षा में अष्टांग योग में यम, नियम, आसन, प्रायाणाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि तथा योग के प्रकार- हठ योग, राजयोग, कर्मयोग, ध्यानयोग, भक्तियोग, तंत्रयोग को विस्तार से बताया गया। इसके अलावा मानव शरीर, नारी समस्या, अवसाद, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये योग और प्राणायाम बताया गया।
अतिथि व्याख्यान में पहले दिन डॉ हरमन सिंह अलरेजा विभागाध्यक्ष योग एवं फिलास्फी, शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव ने योग की परिभाषा एवं उसके फायदे पर चर्चा की और उसके गुण पर व्याख्यान दिया। द्वितीय दिन मंजू झा, मृत्युंजय योग रायपुर ने कोरोना जैसी महामारी से प्राणायाम और आसन द्वार जीवन रक्षा की जानकारी दी। तृतीय दिन नीरा सिंह, सहायक प्राध्यापक योग, शा.वी.वाय.टी.पीजी. महाविद्यालय दुर्ग ने अष्टांग योग की विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम संयोजिका डॉ शमा ए. बेग एवं सहसंयोजक डॉ पूनम शुक्ला ने बताया कि महाविद्यालय के योग सर्टिफिकेट कोर्स का मुख्य उद्धेश्य विद्यार्थियों में योग के प्रति जागरूकता लाना है सभी विद्यार्थियों को उनके सीखे हुये योग को अपने घर एवं आस-पास के लोगों को सिखाने और महत्व को बताने हेतु प्रेरित किया जाता है जिससें एक व्यक्ति योग सीखकर दस लोगों को योग सिखाये।