15 day certificate course at SSSSMV

स्वरूपानंद महाविद्यालय में सर्टिफिकेट कोर्स का समापन

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में माईक्रोबायोलाजी विभाग द्वारा ‘बायोस्टेटिक इंटरनेट एप्लीकेशन इंस्ट्रूमेंटेशन एंड टेक्नीक विषय पर आयोजित पंद्रह दिवसीय प्रमाण पत्र कोर्स का समापन समारोह डॉ. एडीएन बाजपेयी, उपकुलपति अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।कार्यक्रम की संयोजिका डॉ शमा ए. बेग ने पन्द्रह दिवसीय कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए उसकी उपादेयता पर प्रकाश डाला व बताया कि आज रिसर्च के क्षेत्र में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं। जो विद्यार्थी पीएचडी या शोध के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते है उनके लिए यह कोर्स बहुत लाभदायक है।
डॉ बाजपेयी ने कहा की कोर्स की सफलता तब है जब इससे प्राप्त जानकारी एवं ज्ञान को प्रतिभागी सफलतापूर्वक उपयोग करे। सांख्यिकी केवल अपनी हाईपोथिसिस को सिद्ध करने हेतु ना की जाए वरण सांख्यिकी द्वारा प्राप्त परिणामों के आधार पर प्रक्रिया व्यक्त की जाये जीव-विज्ञान, तकनीक, इंटरनेट एवं सॉख्यिकी के साथ ही यदि मनुष्य मे संस्कार, न होतो किसी भी ज्ञान का अर्थ नही है। किसी कार्यक्रम की सफलता उसके फिडबैक के आधार पर स्वयं ही अंकित होती है। उन्होने सभी प्रतिभागियों को सफल होने हेतु आर्शीवाचन दिया।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा यह सर्टिफिकेट कोर्स इस उद्देश्य से कराया गया की छात्र एवं शोध छात्रो को विषयार्न्तगत जानकारी प्राप्त हो जिससे वे सॉख्यकी इंटरनेट एवं उपकरणो एवं तकनीको के बारे मे विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त कर सके।
कार्यक्रम आयोजन के लिये बधाई देते हुये प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा आज के समय में यह कोर्स बहुत महत्वपूर्ण है, समसामयिक विषय पर आधारित शोधार्थियों को शोध में लाभदायक है।
सांख्यकीय एवं डाटा के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए प्रथम चरण डाटा कलेक्शन के बारे में डॉ प्रियंका चावला, असोसिएट प्रोफेसर डेली कॉलेज ने छात्रों को विभिन्न प्रकार के डाटा एवं उन्हे एकत्रित करने के साधनों से अवगत कराया।
डॉ. समीर दुबे असोसिएट प्रोफेसर ऐकरोपोलिस ने इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए डाटा कलेकशन के लिए प्रश्नो की सूची तैयार कराने का प्रशिक्षण दिया। इन अथिति व्याख्यानो पर आधारित एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता रखी गई।
डॉ रीना कुलश्रेष्ठ ने एंटी माईक्रोबियल सस्पटेब्लिटी टेस्टींग के बारे में जानकारी दी।
डॉ अजय चौहान ने एकतत्रित जानकारियों से अपने परिणाम को सांख्यिकी द्वारा सिध्द करने हेतु मेटा एनेलिसिस एवं उसके साफ्टवेयर से अवगत कराया। एकत्रित परिणामो के हाईपोथिसिस को प्रोसेस करने हेतु टी-टेस्ट एवं काई-स्कवायर टेस्ट के बारे में विस्तृत जानकारी प्रोफेसर राजीव चौधरी ,पंडित रविशंकर शुक्ल युनिवर्सिटी ,रायपुर से मिली। तदोपरांत श्रीमती रेखा गुप्ता वी.वाय.टी. पीजी कॉलेज, दुर्ग द्वारा छात्रों को गैस क्रोमेटोग्राफी तकनीक के बारे में अवगत कराया जिससे छात्र किसी मिश्रण में उपस्थित अलग-अलग मालिक्यूल्स की मात्रा को ज्ञात कर सकते है। तकनीकी सत्र को आगे बढ़ाते हुए आज के परिपेक्ष्य में प्रोटीयोमिक्स की भूमिका पर रोशनी डालते हुए प्रोफेसर के.के. साहू, विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलाजी पंडित रविशंकर शुक्ल युनिवर्सिटी, रायपुर ने तकनीक की उपयोगिता मानव कल्याण हेतु बीमारियो को पहचानने में और उसके निदान की उपयोगिता से अवगत कराया।
डॉ संजू सिन्हा, असिस्टेंट प्रोफेसर, जूलाजी साईंस कॉलेज, दुर्ग ने बीमारी के कारक सूक्ष्म जीवो के मापने की तकनीक माइक्रोमैटी छात्रो को सिखाई ओर उसकी उपयोगिता समझाई। तकनीको की श्रृंखला में आठ तकनीको के बारे में जो जीव विज्ञानियो द्वारा दैनिक उपयोगी है के बारे में प्रोफेसर अनिल श्रीवास्तव, सांईस कॉलेज, दुर्ग ने भली-भॉती समझाया उन्होने मोबाईल के रेडियेशन से होने वाले जीनोटाक्सिक इफेक्ट पर प्रकाश डाला, छात्रो को मोबाईल रेडियेशन कम इस्तमाल एवं तकिये के नीचे मोबाईल रख कर सोने से बचने कहा एवं इसके दूरगामी परिणामों से अवगत कराये।
अंतिम कड़ी मे प्रोफेसर अनिता महिश्वर ने माइक्रोटोमी की तकनीको जिससे सूक्ष्म कोशिका, उतक ,सूक्ष्म अंग की सेक्शन कटिंग को विस्तार से समझाया। तकनीको पर आधारित प्रश्नोत्तरी के परिणाम घोषित किये जिसमें प्रथम डॉ. विजय नायडू, द्वितीय आकांक्षा मिश्रा और तृतीय योगप्रज्ञा साहू रहें।

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