Vegetarian day observed in MJ College

एमजे कालेज में शाकाहार दिवस पर सात्विक भोजन की चर्चा

भिलाई। एमजे कालेज की आईक्यूएसी द्वारा वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय के सहयोग से विश्व शाकाहार दिवस पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। शाकाहारी एवं मांसाहारी को विदेशी अवधारणा मानते हुए बच्चों ने सात्विक आहार पर अपनी बात रखी। यह आयोजन महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर के दिशानिर्देशन में किया गया था। बीकॉम प्रथम वर्ष की छात्रा इषिता ने बताया कि शाकाहार और मांसाहार का संबंध हिंसा अथवा अहिंसा से नहीं है। भारत जैसे में इसका फैसला व्यक्तिविशेष की सामाजिक परम्पराएं करती हैं। वहीं तनु महतो ने कहा कि शाकाहार बेहतर विकल्प है क्योंकि यह सहज सुपाच्य होता है। इससे स्वास्थ्यगत परेशानियां कम होती हैं। वहीं हरलीन ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कुछ लोग अंडे को शाकाहारी बताते हैं तो कोई दूध को मांसाहारी। इस झंझट में पड़ने के बजाय लोगों को स्वेच्छा से अपना भोजन चुनने का अधिकार होना चाहिए।
अंजलि ने शाकाहारी भोजन को श्रेष्ठ बताया। उनका मानना था कि मांसाहार कई रोगों का कारण बन सकता है। वहीं काजल ने कहा कि भारतीय समाज में शाकाहार को सर्वोत्तम माना गया है। आज दुनिया के कई देशों में लोग शाकाहार को अपना रहे हैं। वहीं अर्पिता ने कहा कि व्यक्ति का मांसाहारी या शाकाहारी होना उसके पारिवारिक संस्कारों से जुड़ा है। कुछ लोग घर पर शाकाहारी और बाहर मांसाहारी हो जाते हैं।
आरंभ में वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय के सहायक प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने कहा कि शाकाहार और मांसाहार विदेशों से आई अवधारणा है। भारत में सात्विक एवं तामसिक भोजन की परिभाषाएं की गई हैं। शराब शाकाहारी होते हुए भी तामसिक है और दूध मवेशी से प्राप्त होने के बाद भी सात्विक। परिचर्चा में मध्यस्थ की भूमिका का निर्वाह प्राणीशास्त्र की सहा. प्राध्यापक ममता एस राहुल ने किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने चर्चा को सार्थक बताया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन आईक्यूएसी प्रभारी अर्चना त्रिपाठी ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *