Stress Management Workshop in Girls College

पाटणकर गर्ल्स कालेज में ‘‘तनाव के विज्ञान’’ पर कार्यशाला

दुर्ग। शासकीय डॉ.वामन वासुदेव पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ‘‘तनाव के विज्ञान’’ पर सात दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्नातकोत्तर प्राणी विज्ञान विभाग के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यशाला में विभागाध्यक्ष डॉ. निसरीन हुसैन ने बताया कि स्ट्रेस (तनाव) का नाम सुनते ही दिमाग में नकारात्मक विचार आते हैं क्योंकि इसे हमेशा निगेटिव ही माना जाता है।
उन्होंने कहा कि शरीर क्रिया विज्ञान में हम प्राणियों से संबंधित प्राकृतिक घटनाक्रमों का अध्ययन करते हैं। जिसमें तनाव का प्रभाव वनस्पति एवं प्राणी जगत दोनों में होता है। उन्होंने कार्यशाला के सात दिवसीय कार्यक्रमों की जानकारी दी।
सात दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में ‘तनाव‘ के जीव जगत पर पड़ने वाले प्रभावों से बचने एवं सुरक्षित रहने की चर्चा करते हुए कहा कि ‘तनाव’ का सकारात्मक पहलू यह है कि हम भविष्य के लिए सचेत और सतर्क हो जाते हैं। हमारा शरीर भी इसके लिए तैयार हो जाता है।
इस विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए शास. विज्ञान महाविद्यालय, दुर्ग की प्राध्यापक डॉ. मौसमी डे ने ‘तनाव‘ का शरीर विज्ञान विषय पर प्रकाश डाला और इसकी विशेषताएँ एवं वर्गीकरण की सविस्तार व्याख्या की।
शास. दिग्विजय महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. माजीद अली ने तनाव लेने से होने वाली परेशानियों और इसके दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए इसे दूर करने के उपाय बताए। उन्होंने इसमें आक्सीजन की महत्वपूर्ण भूमिका की विस्तार से जानकारी दी।
प्राणीविज्ञान के विषय विशेषज्ञ डॉ. संजय ठिसके ने तनाव के शरीर विज्ञान के अध्ययन के लिए प्रयुक्त किए जा रहे उपकरणों एवं नई-नई तकनीक के बारे में बताया। उन्होंने रोचक उदाहरण देकर इस पर विस्तार से चर्चा की। कार्यशाला का संचालन डॉ. लता मेश्राम ने किया। विभाग के प्राध्यापक प्रीती सिन्हा एवं डॉ. प्रियंका देवांगन ने सक्रिय सहभागिता दी। इस अवसर पर एम.एससी. प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर की छात्राएं उपस्थित थी।
कार्यशाला में शामिल सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र दिए गए। आभार प्रदर्शन डॉ. निसरीन हुसैन ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *