Nirala Jayanti observed in science college

औघड़ दानी निराला ने बदल दिया हिंदी कविता का इतिहास

दुर्ग। शास. वि. या. ता. स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के हिंदी विभाग द्वारा बसंत पंचमी के अवसर पर निराला जयंती का आयोजन गूगलमीट पर किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में एम.ए की छात्रा आरती साहनी ने निराला द्वारा रचित सरस्वती वंदना ‘वरदे वीणा वादिनी वर दे’ का पाठ किया। स्वागत उद्बोधन देते हुए हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ अभिनेष सुराना ने कहा कि निरालाजी और वसंत दोनों परिवर्तन के प्रतीक हैं निराला जी सरस्वती के वरद पुत्र थे। उन्होंने सरस्वती को मंदिरों, पूजापाठ व कर्मकांड से बाहर लाकर खेतों-खलिहानों में श्रमजीवी किसानों के दुख भरे जीवन में स्थापित किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ जयप्रकाश ने कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कवि निराला से जुड़े विविध संस्मरणों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि निराला जी विशाल हृदय के धनी थे। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व में करुणा दृढ़ता तथा प्रतिबद्धता का परिचय मिलता है। निरालाजी अभाव और विपन्नता में जीते रहे। जो कुछ मिलता उसे दान कर देते। वे औघड़ दानी थे। अपनी रचनात्मकता से उन्होंने हिंदी कविता का इतिहास बदला, हिंदी कविता में नए परिवर्तन किए, उनकी कविताओं में विविधता है। भाषा के स्तर पर उनकी कविताओं में एक तरफ संस्कृत निष्ठ तत्सम के कठिन शब्द हैं तो दूसरी ओर बहुत सरल सहज देशज शब्द से भी कविता गढ़ते हैं। वे प्रतिबद्ध तथा जनपक्षधर कवि थे। जीवन के विविध पक्षों में उन्हें जहां भी जनविरोधी लगता उसका प्रतिकार करते निराला अपने समय और जमीन से जुड़े रचनाकार थे।
महाविद्यालय के प्राध्यापक श्री थान सिंह वर्मा ने अपने उद्बोधन में निराला की कविताओं की व्याख्या करते हुए बताया कि निराला क्रांतिकारी कवि थे। उनकी कविताओं का स्वर प्रतिरोध का स्वर था छायावादी कोमल एवं भावात्मक कविता से उबर कर प्रगतिवादी कविता को उन्होंने वैचारिक रूप से समृद्ध किया। उनकी कविताओं में चिंतन और विचार का परिपक्व रूप दिखता है। वे अपनी विचारधारा के प्रति अडिग व प्रतिबद्ध रहें। व्यवस्था किस तरह जनविरोधी है, यह भी वे भली भांति जानते थे और जनता के पक्ष में खड़े होकर उन्होंने व्यवस्था को रचनात्मक चुनौती दी। कार्यक्रम का संचालन तथा आभार प्रदर्शन करते हुए डॉ रजनीश उमरे ने निराला की कविताओं का पाठ किया तथा कहा कि बीसवीं सदी की जितनी भी काव्य प्रवृत्तियां हैं वे समस्त प्रवृतियां निराला के काव्य में निहित हैं। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ बलजीत कौर, डॉ कृष्णा चटर्जी, जनेंद्र दीवान, डॉ ओम कुमारी देवांगन, डॉ सरिता मित्र, कुमारी प्रियंका यादव तथा नगर के रचनाकार व समाजसेवी नागरिक विश्वजीत हारोड़े, अजहर कुरेशी के साथ बड़ी संख्या में महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे।

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