Student loses limb due to quack treatment

टूटी बांह पर बैगा ने बांध दी खपच्ची, एम्प्यूट करना पड़ा

भिलाई। एक छोटी से लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है, इसका ताजा नमूना सामने आया है। 15 साल की यामिनी की बांह जख्मी हो गई थी। एक्स-रे में पता चला कि हड्डी टूट गई है जिसे ठीक करने के लिए आपरेशन कर रॉड डालना होगा। किसी ने बैगा के बारे में बताया जो ऊपर से खपच्ची बांध कर टूटी हड्डी जोड़ देता है। खपच्ची बंधी और पूरी बांह सड़ गई। मरीज की जान बचाने के लिए उसकी बांह काटनी पड़ी।

घटना बिल्हा की है। सेंट यूजीन इंग्लिश मीडियम स्कूल की 10वीं की छात्रा यामिनी 2 फरवरी को घर पर ही गिर पड़ी थी। बांह में चोट लगने पर उसे पास के ही लालचंदानी हॉस्पिटल ले जाया गया। एक्स-रे करने पर पता चला कि बांह की हड्डी टूट गई है। सर्जरी कर रॉड डालने की सलाह दी गई। किसी ने कहा कि लड़की का मामला है। सर्जरी का निशान पड़ जाएगा। एक बैगा हैं जो ऊपर से ही जड़ी बूटी का लेप लगाकर खपच्ची बांध देते हैं और हड्डी जुड़ जाती है। घर वाले उसे लेकर बैगा के पास पहुंचे। बैगा ने खपच्ची बांध दी।
दो दिन बाद बांह में भयंकर सूजन आ गया और त्वचा काली पड़ गई। उसपर फफोले निकल आए। यामिनी का एक रिश्ते का भाई पाटन में डाक्टर है। जानकारी मिलने पर उसने तत्काल यामिनी को भिलाई बुलवाया। उसे हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ दीपक कुमार सिन्हा के पास भेज दिया। रक्तसंचार में अवरोध के कारण बांह के नीचे का हाथ मृतप्राय हो चुका था।
डॉ दीपक कुमार सिन्हा ने बताया कि सूजन के कारण रक्तसंचार पूरी तरह बंद हो चुका था। रक्तसंचार रुकने के बाद मांसपेशियां अधिकतम 12-24 घंटे तक जीवित रह सकती हैं। इस केस में जख्म को सात दिन से ज्यादा बीत चुके थे। हाथ के बचने की बहुत कम उम्मीद थी फिर भी एक आखिरी कोशिश की गई। प्लास्टिक सर्जन डॉ दीपक कोठारी के साथ मिलकर 10 फरवरी को ऑपरेशन कर प्रेशर को रिलीज करने की कोशिश की गई।
डॉ दीपक कोठारी ने बताया कि इसे कम्पार्टमेन्ट सिंड्रोम कहते हैं। सूजन के कारण नसों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और रक्तसंचार रुक जाता है। घायल बांह को ऊपर से कसकर बांध देने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई थी। कई दिनों तक रक्तसंचार रुका रहने की वजह से बांह निष्प्राण हो चुकी थी। तमाम कोशिशें बेकार गईं और अंततः हमें कठोर निर्णय लेना पड़ा। 21 फरवरी को रोगी का जीवन बचाने के लिए हमें उसकी बांह को एम्प्यूट करना पड़ा।
यामिनी का हौसला बरकरार है। वह जीव विज्ञान लेकर आगे की पढ़ाई करना चाहती थी। हादसे के बाद उसकी यह इच्छा और मजबूत हुई है। जिस स्कूल में अभी वह पढ़ रही थी वह दसवीं तक ही है। आगे की पढ़ाई के लिए उसे स्कूल बदलना ही था। अब वह किसी अच्छे स्कूल में दाखिला लेगी ताकि उसके सपने पूरे हो सकें।

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