Dr Bhatia bags patent for Ethanol Formula

धान व फलों के छिलके से इथेनॉल बनाने की विधि को 10 साल का पेटेंट

बिलासपुर। अटल यूनिवर्सिटी की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. ललिता भाटिया ने धान के छिलके, ब्रान और फलों के छिलके से इथेनॉल बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। फेंके गए धान के छिलके, ब्रान, फलों के छिलके से इथेनॉल बनाने की उनकी विधि को जर्मनी से 10 साल का पेटेंट मिला है। इथेनॉल का उपयोग पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में किया जाता है। अभी तक इथेनॉल चावल, गन्ने के शक्कर, ग्लूकोस, शोरा, महुए के फूल, आलू, जौ, मकई आदि खाद्यान्नाें से बन रहा है।
इस पेटेंट के लिए कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने डाॅ. भाटिया को बधाई दी है। अन्य प्राध्यापकों को भी इस तरह से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। डॉ. भाटिया ने बताया कि उन्होंने 1 किलो धान के छिलके, ब्रान, फलों के छिलके पर रिसर्च किया। इसके लिए पहले उन्होंने सूक्ष्म जीवों को इष्ट तैयार किया। इष्ट, फंगस और एंजाइंस की मदद से प्रोसेस कर इथेनॉल तैयार की है। इस प्रोसेस में उन्हें 7 सप्ताह का समय लगा। 1 किलो सामग्रियों से 10 ग्राम इथेनाॅल बन पाया।

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