Guest lecture on Bioinformatics in MJ College

बायो और कम्प्यूटर दोनों के लिए है बायोइंफार्मेटिक्स का क्षेत्र – डॉ परख

भिलाई। बायो-इंफॉर्मेटिक्स का एक बेहद रोमांचक इंटरडिसिप्लिनरी क्षेत्र है. इसमें बायो टेक्नोलॉजी और इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी के विद्यार्थी बराबर का योगदान दे सकते हैं. इस क्षेत्र में आने वाले विद्यार्थी बायो या कम्प्यूटर साइंस में एमएससी कर सकते हैं. देश के कुछ विश्वविद्यालयों में यह सुविधा उपलब्ध है। उक्त जानकारी कलिंग विश्वविद्यालय की बायोइंफार्मेटिक्स की प्राध्यापक डॉ परख सहगल ने आज कहीं।

डॉ परख सहगल ने एमजे कालेज के बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित सेमीनार को मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित कर रही थीं. इस कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर के मार्गदर्शन में किया गया था. उन्होंने बताया कि किस तरह रोग के इतिहास का पता लगाने, नई दवा या टीका खोजने में इसका उपयोग किया जाता है. एक ही विषय पर एक ही समय पर दुनिया के अलग अलग भागों में शोध चल रहा होता है. इसका डेटा सभी शोधकर्ताओं को मुफ्त में उपलब्ध होता है. आप कहीं से भी इस डेटा को इंटरनेट के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं और फ्री टू यूज साफ्टवेयर की मदद से इसकी एनालिसिस कर सवालों के जवाब ढूंढ सकते हैं. कोरोना काल में इसी तकनीक की मदद से इतनी जल्दी टीका बनाना संभव हो पाया.
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए महाविद्यालय के .प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने कहा कि इस तरह के शोध में गणित, भौतिकी, कम्प्यूटर साइंस, बायोटेक्नोलॉजी एवं बायोलॉजी के विद्यार्थी भी जुड़ सकते हैं. सबकी अलग अलग भूमिका होती है पर सबका प्रयास जल्द से जल्द हल ढूंढना होता है. उन्होंने डॉ सहगल के इस प्रस्ताव पर उनका आभार माना कि वे विद्यार्थियों को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए मदद करेंगी.
कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक प्रीति देवांगन ने किया. इस अवसर पर बायोटेक्नोलॉजी विभाग की एचओडी सलोनी बासु, कम्प्यूटर साइंस की एचओडी पीएम अवंतिका, गणित विभाग की एचओडी रजनी कुमारी, स्नेहा चंद्राकर, अलका साहू, गिरिजाशंकर, कृतिका गीते सहित स्टाफ एवं स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में मौजूद थे। आरंभ में स्वागत भाषण दीपक रंजन दास ने दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *