Hindi diwas in science College

भाषा से ही संस्कृति और जीवन मूल्यों की रक्षा संभव – डाॅ. आरएन सिंह

दुर्ग। हिन्दी भाषा के अध्ययन विद्यार्थी केवल परीक्षा पास होने के लिए करते है. उसके साहित्य में जो ज्ञान तथा मूल्य निहित है वे उस पर ध्यान नही देते. इसलिए उनमें मूल्य चेतना का अभाव होता है. भाषा संस्कृति की संवाहक होती है. हिन्दी का संवर्धन कर हम अपनी संस्कृति तथा जीवन मूल्यों की रक्षा कर सकते है. उक्त बातें शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह ने कहीं. डॉ सिंह महाविद्यालय में हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

उन्होने आगे कहा कि विद्यार्थी हिन्दी साहित्य का अध्ययन करें और उसमें निहित ज्ञान चेतना से प्रेरणा लें. इस कार्यक्रम में छायावाद की कवयित्री महादेवी वर्मा तथा प्रगतिवाद के प्रमुख कवि गजानन माधव मुक्तिबोध का पुण्य स्मरण किया गया.
विभाग के प्राध्यापक डाॅ. थानसिंह वर्मा, मुक्तिबोध के पत्रकारिता साहित्य पर चर्चा करते हुए कहा ंकि मुक्तिबोध जी ने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में देष और दुनिया की सामयिक समास्याओं, घटनाओं तथा राजनीतिक, सांस्कृतिक गतिविधियों पर लेख लिखकर समाज को सचेत किया। डाॅ. जय प्रकाष साव ने ‘राजभाषा के रूप में हिन्दी की हैसियत’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहां कि हिन्दी दिवस मनाकर भाषाओं के बीच द्वन्द्व पैदा करते है। हिन्दी में आज भी नये ज्ञान विज्ञान का साहित्य न होना बडे़ शर्म की बात है। अपनी भाषा को समुन्नत करने के लिए उसे ज्ञान-विज्ञान की अभिव्यक्ति की दृष्टि से संक्षम बनाना होगा।
कार्यक्रम का आरंभ सरस्वती वंदना तथा महादेवी वर्मा एवं गजानन माधव मुक्तिबोध के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। स्वागत उद्बोधन विभाग के अध्यक्ष डाॅ. अभिनेष सुराना ने किया। उन्होनें अपने उद्बोध में वैष्विक धरातल पर राजभाषा हिन्दी की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की तथा मुक्तिबोध जी को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए उनकी एक कविता का पाठ किया। अक्षय कुमार चैरसिया, सोनल ताम्रकार, मिनाक्षी वैष्णव, मो. सारिक अहमद खान, मोनिका साहू तथा नितिष कुमार वर्मा ने कविता पाठ व आलेख पठ्न किया। कार्यक्रम में डाॅ. बलजीत कौर, डाॅ. कृष्णा चटर्जी, डाॅ. सरिता मिश्र, कु. प्रियंका यादव, संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. जनैन्द्र दीवान और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राऐं उपस्थित थे। कार्यक्रम-संचालन डाॅ. रजनीष उमरे ने तथा आभार प्रदर्षन डाॅ. ओम कुमारी देवांगन ने किया ।

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