Blame game in Cyrus Mistry Death

सड़क हादसा, साइरस मिस्त्री और मीडिया

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री एवं जहांगीर पंडोले की सड़क हादसे में मौत हो गई. रोजाना सैकड़ों लोगों की मौत सड़कों पर होती है. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की 2021 में आई रिपोर्ट के मुताबिक एक साल में 1,55,622 यानि प्रतिदिन औसतन 426 लोगों की मौत भारतीय सड़कों पर हुई है. पर इस बार मामला अलग है. मरने वाला एक बहुत बड़ा आदमी है. इस हादसे से दो-तीन दिन की टीआरपी निकाली जा सकती है. हर बार की तरह इस बार भी हम बलि का बकरा ढूंढ रहे हैं. वो सारे चैनल, जो भारत की प्रत्येक दुश्वारी के लिए नेहरू-गांधी को जिम्मेदार ठहराते हैं, इस बार भी ठीक वही कर रहे हैं. वो अहमदाबाद-मुम्बई एक्सप्रेसवे की डिजाइन को गलत बता रहे हैं. वो ऐसा कर सकते हैं, बल्कि ऐसी ही करते हैं. हाथ में कलम और मुंह में माइक दे दो तो पत्रकार से बड़ा ज्ञानी दुनिया में और तो कोई होता ही नहीं है. इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता की इसी सड़क से प्रतिदिन लाखों लोगों का आना जाना हो रहा है. सड़क पर गड्ढे हो सकते हैं, सड़क टूटी हुई भी हो सकती है. बारिश का समय है, सड़क कहीं-कहीं कटी भी हो सकती है. आप अंधे हो? वैसे भी सड़क की हालत बताने के लिए केवल इतना ही जानना काफी है कि साइरस की मर्सिडीज एसयूवी की रफ्तार उस समय 120 किमी प्रति घंटे से ज्यादा थी. दूसरी बात में ज्यादा दम है कि साइरस और जहांगीर ने सीट बेल्ट नहीं लगाया था. अगर चालान का डर नहीं होता तो सामने बैठने वाले भी कहां सीट बेल्ट लगाते हैं. वैसे भी भारतीय गाड़ियों में सेफ्टी फीचर केवल “टशन” के लिए होते हैं. नई गाड़ी खरीदने के बाद लोग अपने दोस्तों और सहकर्मियों को फीचर दिखाकर जलाने की कोशिश करते हैं. यह भारत है. यहां जीवन-मृत्यु का एक ही स्वामी है – ईश्वर. जब आपकी आएगी तो मर्सिडीज एसयूवी की सुरक्षा भी काम नहीं आएगी. पर इस सत्य को स्वीकार करने से पहले हम सड़क के डिजाइन में फाल्ट निकालेंगे. सड़क बनवाने की गलती करने वाली सरकार को कोसेंगे. गाड़ी और सड़क कोई भी हो, एक्सीलरेटर आपके पांव में होता है. रफ्तार आपकी मर्जी पर टिकी होती है. आखिर आपकी गाड़ी को कहीं न कहीं रुकना भी तो होता होगा? तेज रफ्तार चलने वालों को तो और ज्यादा जिम्मेदार बनना चाहिए. आखिर सड़कों पर नंगा घूमने वाले मवेशियों से लेकर, दुपहिया सवार और डिवाइडर, सबकी सुरक्षा आपके हाथ में है. पर आश्चर्य इस बात का है कि किसी ने मर्सिडीज की तरफ उंगली नहीं उठाई. कैसे उठाते? वह एक बड़ा ब्रांड है. और ब्रांड हमेशा अच्छे होते हैं. डिजाइन फाल्ट के लिए गाड़ियां विदेशों में खूब रिजेक्ट होती हैं, कंपनियां अपनी गाड़ियों को किसी छोटी सी नुक्स के निकलने पर भी वापस बुला लेती हैं पर हम ऐसा नहीं कर सकते. हम छोटे लोग हैं. विश्व गुरू भारत तो केवल भाषणों में है.

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