3600+ patients reach ARI clinics in Chhattisgarh

एक माह में सामने आए श्वांस रोग के 3600 मरीज, तिहाई मरीज कोरोना वाले

रायपुर. छत्तीसगढ़ के 8 विशेष क्लिनिकों में पिछले एक माह के दौरान 3600 से अधिक फेफड़े के मरीज पहुंचे हैं. इनमें से लगभग 40 फीसदी का कोरोना पीड़ित होने का इतिहास है. मरीजों में 72 फीसदी से अधिक बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं हैं. इनमें से कुछ मरीजों को तत्काल चेस्ट वार्ड में दाखिल करने की जरूरत पड़ चुकी है. इन क्लिनिकों की स्थापना औद्योगिक प्रदूषण और मौसम चक्र परविर्तन से जूझ रही आबादी के लिए की गई है.
एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन क्लीनिक (एआरआई) की शुरुआत पिछले महीने की गई है. रायपुर, बलौदा, दुर्ग, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा, बिलासपुर, और जांजगीर चांपा में खोले गए इन क्लिनिकों में अब तक 3675 से अधिक मरीज पहुंच चुके हैं. इनमें सर्वाधिक 2646 की संख्या बुजुर्गों, महिलाओं तथा बच्चों की है. 1470 लोग पूर्व में कोविड से ग्रसित थे. कमजोर श्वसन तंत्र के लगभग 1764 मरीजों ने इन क्लिनिकों में दस्तक दी है. 800 से अधिक मामलों में हृदय रोगों के भी लक्षण पाए गए हैं.
छत्तीसगढ़ के इन 8 जिलों को औद्योगिक प्रदूषण के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है. इन क्लिनिकों में प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों का रिकॉर्ड भी रखा जा रहा है. प्रदूषण और आबोहवा में हो रहे बदलाव के चलते दमा, सांस फूलने की शिकायत, निमोनिया, टीबी, चेस्ट कैंसर के साथ ही स्किन एलर्जी और कैंसर जैसे गंभीर रोग हो रहे हैं.
इन क्लिनिकों में दूषित जल और खाद्य सामग्री से होने वाली बीमारियों का भी इलाज किया जा रहा है. इनमें लिवर, किडनी, आंत के रोग, पेट का कैंसर आदि बीमारियों को शामिल किया गया है. बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण इस तरह की बीमारियां उन्हें जल्दी घेर लेती है. जिन्हें पहले से ही कोई अन्य गंभीर बीमारी है, उनमें भी एक्यूट रेस्पीरेटरी इंफेक्शन की आशंका अधिक होती है.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक रायपुर के पंडरी स्थित एआरआई क्लिनिक में भर्ती करने योग्य मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाया गया है. इसमें वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आदि की सुविधा भी है. यहां पहुंच रहे प्रत्येक मरीज की सालभर मॉनिटरिंग भी की जाएगी.

Display pic courtesy DW.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *