Type 1 diabetes cases rise by 150%

कोविड के बाद 150% बढ़े डायबिटीज के मरीज – डॉ सिंघल

भिलाई. यह एक विडम्बना ही है कि भारत जैसे-जैसे तरक्की कर रहा है, वैसे-वैसे वह लाइफ स्टाइल डिजीज के जाल में उलझता जा रहा है. बिगड़े खानपान और आरमतलब जीवनशैली के कारण एक तरफ जहां बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है वहीं दूसरी तरफ उन्हें मधुमेह जैसी बीमारियां घेर रही हैं. इसके कारण दृष्टि कमजोर हो रही है, लिवर, किडनी, हार्ट डिजीज के मामले बढ़ रहे हैं. छत्तीसगढ़ के शहरी इलाके भी इसकी चपेट में आने लगे हैं. ICMR की मानें तो Covid के बाद टाइप-1 केसेस में 150% तक की वृद्धि हुई है.
हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के डायबेटॉलॉजिस्ट डॉ राजेश सिंघल ने कहा कि देश में मधुमेह के वास्तविक मरीजों की संख्या ज्ञात आंकड़ों से कहीं ज्यादा है. उनकी ओपीडी में जब भी कोई मरीज आता है तो सबसे पहले वे उससे शुगर के बारे में पूछते हैं. लोगों का यही कहना होता है कि पिछली बार जांच कराया था तो बार्डर लाइन था. इसके बाद दोबारा जांच क्यों नहीं कराई, इसका उनके पास कोई संतोषजनक उत्तर नहीं होता. यह लापरवाही भारी पड़ सकती है. देश में टाइप-1 डायबिटीज के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में 150 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है.
डॉ सिंघल ने कहा कि मधुमेह की रोकथाम के लिए 2021 से 2023 के लिए रखा गया थीम कहता है कि यदि अभी सजग नहीं हुए तो कब? उन्होंने कहा कि मधुमेह को नियंत्रण में रखने के लिए संतुलित आहार, तेज चाल और हल्की कसरतों की जरूरत होती है. स्वस्थ लोगों को भी सप्ताह में कम से कम पांच दिन अपने लिए आधा से एक घंटा समय निकालना चाहिए. मधुमेह पकड़ में आने के बाद डाक्टर की सलाह लेकर अपने लाइफ स्टाइल को मोडिफाइ करें. आवश्यकता पड़ने पर इंसुलिन लें. नीम हकीमों के चक्कर में पड़कर आप अपने आपको ही नुकसान पहुंचाएंगे.
देश के विकसित राज्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि चंडीगढ़, पुणे और बेंगलुरू जैसे शहरों में डायबिटीज ग्रस्त महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक हो गई है. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) ने चेतावनी दी है कि शहरी दिखावटी लाइफ स्टाइल से जल्द किनारा नहीं किया तो मधुमेह महामारी की शक्ल अख्तियार कर लेगा.
आईडीएफ के अनुसार असंतुलित खान-पान, अनियमित दिनचर्या और शारीरिक श्रम न होने से डायबिटीज (टाइप-2) के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. उल्लेखनीय है कि मधुमेह से दुनियाभर मंे हर साल औसतन 40 लाख लोगों की मौत हो जाती है.
उन्होंने कहा कि शुगर की जांच भी सही ढंग से की जानी चाहिए. यह तीन स्तरों में होता है. खाली पेट शुगर 100 एमजी/डीएल होना चाहिए. खाने के दो घंटे बाद शुगर लेवल 140 एमजी/डीएल होना चाहिए. एचबीए1सी टेस्ट के परिणाम ज्यादा भरोसेमंद होते हैं. इसकी वैल्यू 6.5 होनी चाहिए.
डायबिटीज के लक्षणों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एकाएक वजन कम होना, दिन भर थकान महसूस करना, बार-बार भूख लगना, प्यास लगना और बार-बार पेशाब जाना इसके कुछ लक्षण हैं. कुछ लोगों को नजर का धुंधलापन या चक्कर जैसी शिकायतें भी हो सकती हैं. ऐसा होने पर तत्काल अस्पताल जाएं और ब्लड शुगर की ढंग से जांच करवाएं.

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