Hemchand Yadav University Semester Exams

शोधार्थी के लिए अब इथीकल कमेटी के समक्ष उपस्थिति अनिवार्य : डॉ पल्टा

दुर्ग. शोध कार्यों के संपादन में नैतिकता आवश्यक हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए यूजीसी एवं इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च नई दिल्ली द्वारा प्रत्येक शोधार्थी को इथीकल कमेटी के समक्ष उपस्थित होना अनिवार्य किया गया है. हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डाॅ. अरूणा पल्टा ने आज ये बात कही. डाॅ. पल्टा पीएचडी शोधार्थियांे हेतु इथीकल कमेटी की बैठक में अपने विचार रख रही थीं.
डाॅ. पल्टा ने कहा कि मनुष्य, पशु, पक्षी अथवा मनोविज्ञान, प्राणीविज्ञान तथा रक्त आदि पर अध्ययन करने वाले प्रत्येक शोधार्थी को अपने विषय का अनुमोदन इथीकल कमेटी के सदस्यों से कराना अनिवार्य हैं.
पीएचडी सेल प्रभारी, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि आज आयोजित इथीकल कमेटी की बैठक में 40 से अधिक शोधार्थी सम्मिलित हुए इनमंे गृह विज्ञान, शिक्षा, वाणिज्य, बायोटेक्नोलाॅजी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, आदि के शोधार्थी शामिल थे. आइसीएमआर के गाइडलाईन के मुताबिक विषय-विषेषज्ञ के रूप में डाॅ. मिताश्री मित्रा, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, सेवा निवृत्त प्राचार्य, डाॅ. शशिकांता भारद्वाज, कानून विद्, डाॅ. राघवेष पांडे, मनोवैज्ञानिक, डाॅ. निशा गोस्वामी, रूंगटा फार्मेसी काॅलेज के प्राचार्य, डाॅ. आर. के. नेमा तथा विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव शामिल थें.
विषय विशेषज्ञों ने शोधार्थियों के प्रस्तुतिकरण के दौरान निर्देश दिया कि प्रत्येक शोध कार्य के दौरान यदि अवयस्क विद्यार्थियों से संबंधित कोई आंकड़े एकात्रित किये जाते है तो आंकड़े लेने के पूर्व उस विद्यार्थाी के पालक तथा संस्था के प्राचार्य एवं शिक्षा अधिकारियों की लिखित अनुमति आवश्यक हैं. यदि कोई किसी जनजाति अथवा अशिक्षित वर्ग पर शोधकार्य करता है और वे अपना लिखित सहमति पत्र देने में असमर्थ हो तो संबंधित व्यक्ति का अंगुठा लगवाया जा सकता है, परन्तु साक्ष के रूप में दो शिक्षित व्यक्तियों को हस्ताक्षर आवश्यक हैं. विषय विशेषज्ञों ने पालकों, प्राचार्यों आदि से लिये जाने वाले सहमति पत्र की जानकारी भी शोधार्थियों को दी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *