श्री स्वरूपानंद सरस्वती के के बायोटेक विद्यार्थियों का शैक्षणिक भ्रमण
भिलाई. स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा विद्यार्थियों को शैक्षणिक भ्रमण हेतु एस.जे.फार्म धौराभाटा अहिवारा दुर्ग ले जाया गया। विज्ञान संकाय के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम का हिस्सा है. विभागाध्यक्ष डॉ.शिवानी शर्मा ने बताया कि विद्यार्थी आर्गेनिक फार्मिग के बारे में पढ़ते तो है पर यह सैद्धांतिक ज्ञान होता है, व्यवहार में इसका प्रयोग किस प्रकार किया जाता है यह दिखाना इस शैक्षणिक भ्रमण का मुख्य उद्देश्य है.
विद्यार्थियों ने एस.जे. फार्म में भ्रमण किया यह फार्म 500 एकड़ में फैला है जहां आर्गेनिक खेती की जाती है. खाद के लिये अपने बनाये खाद् जीव अमृत का प्रयोग करते है उनकी स्वयं की गाय है जिसके दूध से मट्ठा बनाया जाता है. जीव अमृत खाद में गोमूत्र, गोबर और गुड़ डालकर उसका खमीरीकरण किया जाता है सात दिन बाद उसे खाद के रुप में उपयोग किया जाता है. उसी प्रकार गाय के दूध से मही बनकार फरमेटिंग बैक्टैरिया डाला जाता है सात दिन बाद तैयार होने के बाद दोनों का अल्टरनेट झिड़काव किया जाता है. साथ ही जैविक कीटनाश्क फफूद नाशक, पौधेविकास की दवाई फार्म के कचरे एवं पौधे से तैयार किया जाता है.
वीरेश चौधरी फोरमेन ने बताया हम लोगों ने स्वयं के कई तालाब बनायें जिसमें वर्षा के जल का संग्रहण किया जाता है और इस एकत्रित जल का प्रयोग पौधो को पानी देने के लिये करते हैं ओवरफ्लो को रोकने का भी इंतजाम है. फर्टिलाईजर के छिड़काव के लिये आटोमेटेड फर्टिगेशन स्सिटम का प्रयोग किया जाता है जो की इजराईल की टेक्नोलॉजी है जिससे फार्म में ही बनायी गई दवाईयों का छिड़काव किया जाता है.
फार्म मैनेजर राजेश पुनिया ने बताया कि कम्पोस्ट खाद बनाने के लिये भी मशीनों का प्रयोग किया जाता है. यहां 200 गीर गाय है जिसके दूध से दही बनाया जाता है व घी निकाल कर मट्ठा तैयार किया जाता है जिसका उपयोग कीटनाशक व खाद् के रुप में किया जाता है. यहां आर्गेनिक खाद् कीटनाशक बनाने के लिये युनिट तैयार की गई है.
प्रदीप मिश्रा फोरमेन बताया फार्म में 22 किस्म के फल उगाया जाता है इसमें से सीताफल का प्रोसेसिंग कर निर्यात किया जाता है जो आईसक्रीम सौन्दर्य प्रसाधन बनाने में उपयोग होता है. वहॉं कोल्ड स्टोरेज की भी व्यवस्था है. पैकेजिंग कैसे की जाती है यह भी विद्यार्थियों ने सीखा फार्म में पानी की सत्त सप्लाई रहे इसके लिए लगभग दस एकड़ में दो तालाब बनाया गया है। विद्यार्थियों ने वहॉं जाना वहॉं कृषकों को भी प्रशिक्षित किया जाता है जिससे वे अपने फसल की उत्पादकता को बढ़ा सके.
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारणी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने कहा इस प्रकार के भ्रमण से विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान होता है वे अपने विषय को देखकर अनुभव कर सीखते है वे स्वयं अपना फार्म हाउस बना सकते है व स्वरोजगार प्रारंभ कर सकते है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने विभाग की सराहना करते हुए कहा भारत कृषि प्रधान देश है व यहॉं के आय का मुख्य स्त्रोत है इस प्रकार के भ्रमण से विद्यार्थियों जान पायेंगे की आर्गेनिक खेती जा सकती है व मुनाफा कमाया जा सकता है. परंपरागत तरीके के खेती को छोड़ आधुनिक साधनों को अपना कर अपने उत्पादों को अपने देश के अतिरिक्त दूसरे देशों में भी बेचा जा सकता है.
इस शैक्षकिण भ्रमण में विद्यार्थियों ने जाना एशिया का सबसे बड़ा सीताफल फार्म छत्तीसगढ़ है जहॉं सीजन में 10 टन सीता फल निकलता है. सीताफल के पेड़ की आयु 90 वर्ष है एक बार उगाने के बाद सिर्फ उसकी देखभाल की आश्कता होती है साथ ही आर्गेनिक तरह से खेती कर हम पर्यावरण को बचा सकते है एक गीर गाय के गोबर से 10 एकड़ में जैविक खेती की जा सकती है आर्गेनिक खाद व कीटनाशक कैसे बनाया जाता है.
शैक्षणिक भ्रमण में विज्ञान संकाय के विद्यार्थी सम्मिलित हुये. भ्रमण को सफल बनाने में स.प्रा. अपूर्वा शर्मा, स.प्रा संजना सौलोमन बायोटेक्नोलॉजी ने विशेष योगदान दिया.