Public not ready for solution based journalism says Dr Sanjay Dwivedi

समाधान के लिए भारत की ओर देखता है पूरा विश्व – डॉ संजय द्विवेदी

ब्रह्मकुमारी संस्थान में समाधान-परक पत्रकारिता पर विमर्श का आयोजन

रायपुर. पूरे विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां समस्याओं के समाधान के लिए संवाद किया जाता है. आज अखबार भी विभिन्न विषयों पर रायशुमारी के द्वारा इस दिशा में योगदान कर रहे हैं. अमेरिका और ब्रिटेन के लोग भी आज समस्याओं के समाधान के लिए भारतीय मूल के लोगों को ही सिर माथे पर बैठा रहे हैं. ऋषि सुनक का चुनाव हारने के बावजूद ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना, इसी बात का सबूत है. उक्त बातें आज भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक प्रोफेसर डॉ संजय द्विवेदी ने कहीं.
डॉ द्विवेदी ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभाग द्वारा शांति सरोवर रिट्रीट सेंटर, रायपुर में आयोजित विमर्श को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का मौजूदा स्वरूप विदेशों की देन है. यह भारत की संस्कृति कभी नहीं रही. भारत हमेशा समस्याओं का समाधान परस्पर संवाद से करता आया है. भारतीय पत्रकारिता के आधार माने जाने वाले देवर्षि नारद भी विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए सही व्यक्ति तक सूचना पहुंचाने का काम करते थे. देश के प्रतिनिधि समाचार पत्रों ने यह बीड़ा उठाया है और अब वे समस्याओं पर विभिन्न संबंधित लोगों की रायशुमारी को न्यूज स्टोरी के रूप में प्रस्तुत कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं.


ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश भाईजी की सातवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि पत्रकारिता अब कोई मिशन नहीं है. आजादी से पहले लोगों के पास एक मिशन था, देश को आजाद कराने का. लोग अपना सबकुछ दांव पर लगाकर अखबार निकालते थे. अखबारों ने अनेक क्रांतियों का सूत्रपात किया और उन्हें मुकाम तक भी पहुंचाया. पर अब पत्रकारिता भी एक पेशा है. पत्रकार भी समाज से ही आते हैं. समाज से जिस तरह के नेता, आईएएस, आईपीएस और दीगर पेशेवर आ रहे हैं, उसी तरह के पत्रकार भी आएंगे. राजनीतिज्ञों का अखबार मालिकों पर दबाव है, अखबार मालिकों के निर्देश पर ही पत्रकार काम करते हैं, इसलिए वे उससे बाहर नहीं जा सकते.
दैनिक भास्कर पत्र समूह के छत्तीसगढ़ प्रांत संपादक शिव यदु ने कहा कि समाज समाधान-परक पत्रकारिता के लिए तैयार नहीं है. बड़ी से बड़ी समस्या को अखबार उठाते हैं पर जनता उसके समर्थन में सामने नहीं आती. लोग भगत सिंह और चंद्रशेखर तो चाहते हैं पर साथ ही यह भी चाहते हैं कि वह उनके नहीं बल्कि उनके पड़ोसी के घर पैदा हो. उन्होंने डिजिटल और प्रिंट मीडिया की परस्पर निर्भरता और उनके ऑडियन्स के अंतर को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि नकारात्मक खबरें ही प्रमुख खबरों के रूप में पसंद की जाती रही हैं पर उनके अखबार ने सोमवार को सप्ताह की शुरुआत नो नेगेटिव न्यूज से करना शुरू किया और लोगों ने उसे पसंद भी किया.
आरंभ में ब्रह्मकुमारी संस्थान के धार्मिक सेवा प्रभाग की अध्यक्ष ब्रह्मकुमारी मनोरमा दीदी ने कहा कि विजुअल मीडिया के द्वारा जो अपसंस्कृति परोसी जा रही है, उससे समाज और परिवार में विघटन आ रहा है. टीवी पर आने वाले विभिन्न कार्यक्रम लोगों की मानसिकता को प्रदूषित कर रहे हैं. यह मीडिया का दायित्व है कि वह समाज को समस्याओं के साथ-साथ उसका समधान भी देने का प्रयत्न करे.
राज्य उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया नेकहा कि समाज की दिशा और दशा को बदलने में मीडिया की अहम भूमिका होती है. मीडिया समाज का आईना होता है पर अच्छे संस्कार देना तो परिवार का ही दायित्व है.
मीडिया परिसंवाद को ब्रह्मकुमारीज की क्षेत्रीय निदेशक ब्रह्मकुमारी कमला दीदी, कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के शाहिद अली ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन पत्रकार प्रियंका कौशल ने और धन्यवाद ज्ञापन पूर्व पत्रकार, साहित्यकर्मी एवं राजनेता चन्द्रशेखर साहू ने किया.

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