Certificate course on Kabir

कबीर के दोहे हर युग में प्रासंगिक – डाॅ. अरूणा पल्टा

दुर्ग. कबीर के दोहे हर युग में प्रासंगिक हैं उनके द्वारा लिखे गये दोहे तथा साखियां वर्तमान समस्याओं के निराकरण में खरी सिद्ध होती है ये विचार हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति, डाॅ. अरूणा पल्टा ने व्यक्त किये. डाॅ. पल्टा विश्वविद्यालय द्वारा ’कबीर एक युग दृष्टा’ विषय पर आयोजित आॅनलाईन सर्टिफिकेट कोर्स के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव कबीर की प्रमुख विशेषता रही है.
उद्घाटन समारोह के आरंभ में कोर्स समन्वयक, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव ने संत कबीर के जीवन परिचय देते हुए प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट कोर्स में जमा किये जाने वाले प्रोजेक्ट तथा पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण परीक्षा के संबंध में विस्तार से जानकारी दी. सर्टिफिकेट कोर्स के अंतर्गत प्रथम व्याख्यान सेवा निवृत्त प्राचार्य, डाॅ. महेष चन्द्र शर्मा का हुआ. डाॅ. शर्मा ने कबीर के जीवन दर्षन का गहराई से विष्लेषण किया. डाॅ. शर्मा ने कबीर पंथ के संबंध में विभिन्न दोहों एवं साखियां के माध्यम से सारगर्भित जानकारियां दी. लगभग 100 प्रतिभागियों ने आॅनलाईन उपस्थित होकर अनेक प्रष्न पुछकर अपनी जिज्ञासा शांत की.
सर्टिफिकेट कोर्स के अंतर्गत द्वितीय व्याख्यान शासकीय दाउ उत्तम साव महाविद्यालय, मचांदुर के हिन्दी के सहायक प्राध्यापक, डाॅ. अम्बरीश त्रिपाठी द्वारा दिया गया. डाॅ. त्रिपाठी ने कबीर और समाजिकता विषय पर अपना आॅनलाईन आमंत्रित व्याख्यान देते हुए बताया कि कबीर ने कभी भी किसी भी धर्म का अनादर नहीं किया. और न ही किसी धर्म की बुराई. कबीर ने केवल किसी भी धर्म के अनुयायियों द्वारा अपनायी जाने वाली कुरीतियों की आलोचना की. कबीर की दृष्टि में संसार के सभी प्राणी समान है. कबीर धर्म, जाति, वर्ण आदि के विरोधी रहकर समाजिक समानता के पक्षधर थें. व्याख्यान के अंत में धन्यवाद ज्ञापन विष्वविद्यालय के डीसीडीसी डाॅ. प्रीता लाल ने किया.

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