National Seminar on Environment at MJJ Govt. College

एमएल जैन शासकीय कालेज में पर्यावरण पर राष्ट्रीय सेमिनार

भिलाई। अपर संचालक उच्च शिक्षा एवं वावा पाटणकर कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने आज तीन शहरों का हवाला देकर पर्यावरण को विकास कार्यों की वजह से हो रही क्षति की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित किया. वे मोहन लाल जैन शासकीय महाविद्यालय खुर्सीपार द्वारा छत्तीसगढ़ में विकास एवं पर्यावरण पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.
सेमिनार के समापन समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि रायगढ़ क्षेत्र में खदानों के कारण फॉरेस्ट कवर तेजी से कम हो रहा है. रायपुर में ग्रीन कवर न के बराबर है और वह देश का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. वहीं औद्योगिक नगर होने के बावजूद भिलाई की स्थिति काफी अच्छी है जहां हरित आच्छादन का अनुपात ठीक होने के कारण उसकी गिनती नियंत्रित प्रदूषण वाले शहरों में हो रही है. उन्होंने कहा कि जागरूकता लाकर और सही दिशा में प्रयास तेज कर स्थिति को सुधारा जा सकता है.
कार्यक्रम के विशेष अतिथि विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आरएन सिंह ने कहा कि पिछले कई वर्षों से सभी सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बातें कर रहे हैं पर इसे हकीकत के धरातल पर अभी उतारा नहीं जा सका है. उन्होंने कहा कि इंसान की महत्वाकांक्षा और बेपरवाही का ही नतीजा है कि जोशीमठ जैसे हादसे हो जाते हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर एवं अन्य वनांचल क्षेत्रों में विकास के लिए वनों का बड़े पैमाने पर विनाश किया जा रहा है. इसपर रोक लगानी होगी.
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने इस अवस पर पावर पाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग के बारे में उद्यतन जानकारी प्रदान की. उन्होंने ग्लोब वार्मिंग के कारकों को स्पष्ट किया. उन्होंने साइंस कालेज से आए प्राचार्य एवं अन्य प्राध्यापकों का उदाहरण देते हुए कहा कि पांच लोग एक ही कार से इस कार्यक्रम में पहुंचे. ऐसे छोटे छोटे कार्यक्रम सड़कों पर यातायात का दबाव कम करने के साथ ही पार्किंग स्पेस की समस्या हल करने, जीवाश्म ईंधन की बचत करने एवं प्रदूषण कम करने में सहायक हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि अभी गौरैया और कौआ ढूंढना पड़ता है. यदि जल्द ही हमने ठोस कदम नहीं उठाया तो 2030 तक छत्तीसगढ़ की जैवविविधता का 25 फीसद भाग नष्ट हो जाएगा.
कार्यक्रम को पर्यावरणविद डॉ पीसी पंडा, मेजबान कालेज के प्राचार्य डॉ ओम प्रकाश अग्रवाल, कार्यक्रम संयोजक डॉ सुनीता मिश्रा ने भी संबोधित किया. अंत में धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ विनोद कुमार साहू ने किया. इस अवसर पर विभिन्न शासकीय एवं निजी महाद्यालयों से आए प्रतिभागी एवं प्रस्तोता बड़ी संख्या में उपस्थित थे. सभी प्रतिभागियों एवं शोध पत्र प्रस्तुत करने वालों को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया.
दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के सलाहकार मंडल में डॉ अंजनी शुक्ला, डॉ सीएल देवांगन, डॉ केके अग्रवाल, डॉ हंसा शुक्ला, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के डीएसडब्लू डॉ प्रशांत श्रीवास्तव एवं उप कुलसचिव डॉ सुमीत अग्रवाल शामिल थे. आयोजन समिति में डॉ आरके बेले, डॉ रंजना शर्मा, डॉ सुनीता झा, डॉ अनिता मेश्राम, डॉ निभा ठाकुर, डॉ पूर्णिमा सेठ, श्रीमती सोमलता, राजेश्वरी वर्मा, डॉ शालिनी वर्मा, चित्र किरण पटेल, डॉ रोली यादव आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

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