धरोहर दिवस पर एमजे कालेज के विद्यार्थियों ने साझा की कहानियां
भिलाई। विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर आज एमजे कालेज के विद्यार्थियों ने अपने आसपास बिखरी रोचक कहानियों को साझा किया। छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न हिस्सों से अध्ययन के लिए यहां पहुंचे इन विद्यार्थियों ने अपने गांव के मंदिरों, निकट के किलों प्राचीन वृक्षों के बारे में बताया. उन्होंने प्राचीन इमारतों से जुड़ी भूत-प्रेत की कहानियां भी साझा की.
आरंभ में इंडियन नेशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) के सदस्य एवं महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने उन्होंने छत्तीसगढ़ के कुछ ऐतिहासिक एवं प्राचीन स्थलों से जुड़ी नवीन जानकारियां दीं. इनमें पाटन के तरीघाट की प्राचीन सभ्यता, चिरमिरी-मनेन्द्रगढ़ रेलखण्ड का लगभग सौ साल पुराना इंटों से निर्मित रेलवे ब्रिज, करकाभाट के पाषाणयुगीन कब्रिस्तान, धमधा किले का इतिहास, दुर्ग शहर की प्राचीन बावड़ी, चरोदा का कलचुरीकालीन शिव मंदिर जैसे स्थलों का जिक्र शामिल था.
महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर एवं प्राचार्य तथा इंटैक सदस्य डॉ अनिल चौबे के निर्देश पर हुए इस आयोजन में विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया.
विद्यार्थियों ने जशपुर महल, रतनपुर किला, बालोद के दुर्ग डोंगरी, मुंगेली जिले के भूतकछार गांव की कहानी सुनाई. विद्यार्थियों ने स्वीकार किया कि वे अपने आसपास के बारे में ज्यादा नहीं जानते. कुछ ही स्थल हैं जहां पिकनिक के लिए लोगों का आना-जाना होता है. ऐसे स्थलों पर भी लोग प्राचीन इमारतों को कुरेदकर अपना नाम लिख देते हैं. मूर्तियों को क्षति पहुंचाकर मोमेन्टो ले जाते हैं. अधिकांश पहाड़ों और मंदिर की दीवारों बबलू+ पिंकी जैसे नाम गोदे हुए मिल जाते हैं. उन्होंने कहा कि इन प्राचीन धरोहरों को यदि नहीं सहेजा गया तो आने वाली पीढ़ियां इनके बारे मे केवल किताबों में ही पढ़ सुन सकेंगी.