connection between prostitution and child rape

नैतिकता की डींग का खामियाजा भुगत रहे बच्चे

यौन संबंधों को लेकर भारतीय समाज कई भागों में बंटा हुआ है. यह एक आदिम जरूरत है. इसकी तलब का किसी स्थान की जलवायु के साथ ही मनुष्य की आनुवांशिकी से भी गहरा संबंध होता है. संभवतः यही वजह है कि भारतीय समाज ने विवाह की आयु बहुत कम तय कर रखी थी. समय के साथ इसमें काफी बदलाव हुए और विवाह की उम्र सरकते-सरकते 21 वर्ष तक जा पहुंची. वैसे अधिकांश युवाओं का विवाह 24 से 30 वर्ष की आयु के बीच होता है. यौन इच्छा को भारतीय समाज ने हमेशा स्वीकार किया. इसपर खुलकर बातें भी कीं. प्राचीन ग्रंथों में भी ऐसी घटनाओं का उल्लेख मिल जाता है जब देवता किसी की खूबसूरती देखने मात्र से स्खलित हो गए. यौन इच्छा के वशीभूत होकर देवता छद्मरूप धारण कर परायी स्त्री के पास पहुंच गए. देश के अधिकांश रेडलाइट एरिया ब्रिटिशकालीन भारत में सैनिकों के लिए ही स्थापित किये गये थे. इनमें से कुछ ही अब तक जीवित हैं. कुछ दशक पहले तक लगभग सभी बड़े शहरों में रेडलाइट एरिया होते थे. रेडलाइट एरिया उन स्थानों को कहते हैं जहां यौन कर्मी स्वेच्छा से काम करते हैं. हालांकि, यहां भी सार्वजनिक रूप से ग्राहकों को लुभाना, आंटी या मैडम बनकर ग्राहकों को लड़कियां उपलब्ध कराना तथा चकलाघर चलाना अपराध की श्रेणी में आता है. नियम कानून इसलिए बनाए गए थे ताकि कोई मैडम जबरदस्ती किसी युवती को यौन कर्म में न धकेल सके. पर नैतिकता के ठेकेदारों ने इसकी जरूरत को स्वीकार करने से ही इंकार कर दिया. एक के बाद एक रेडलाइट एरिया बंद होते चले गये. अब देश के कुछ ही महानगरों में रेडलाइट एरिया हैं. यौन कर्मियों के बीच काम करने वाली संस्थाओं का मानना है कि रेड लाइट एरियाज में काम करने वाली यौन कर्मी न केवल अपने अधिकारों के प्रति सचेत हैं बल्कि ज्यादा सुरक्षित भी. कोलकाता ने इस दिशा में बेहतर काम किया है. यहां ये संगठित हैं और अपनी शर्तों पर देह व्यापार करती हैं. इनके लिए स्वास्थ्य सेवा, कौशल विकास, बीमा आदि की व्यवस्था है. इनके बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य का भी इंतजाम है. जहां-जहां रेडलाइट एरिया बंद हुए वहां गली-कूचों में यह धंधा फलने फूलने लगा. कॉल गर्ल्स की संख्या भी बढ़ती चली गई. छोटे होटल और लॉज से तो सेक्स रैकेट पकड़ाते ही थे, अब मसाज पार्लर और स्पा भी इसमें शामिल हो गए. पर यहां सेवाएं महंगी है और अधिकांश लोगों की पहुंच से बाहर भी. लिहाजा अब अबोध बच्चियां शिकार हो रही हैं. पिछले कुछ हफ्तों में छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों से बच्चों के बलात्कार, यहां तक कि सामूहिक बलात्कार की दिल दहलाने वाली खबरें सामने आई हैं. उधर पुलिस छापेमारी कर सेक्स रैकेट के खुलासे कर रही है. यूरोपीय देशों के शोध बताते हैं कि चकलाघरों और बलात्कार के मामलों के बीच विपरीत समानुपाती संबंध है. बच्चियां इस अपराध की सॉफ्ट टारगेट हैं.

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