Minister give tips for smoking

आबकारी मंत्री ने बताया कैसे नाक से निकालते हैं धुआं

छत्तीसगढ़ में एक गजब के नेता हैं. आदिवासियों के बीच बेहद लोकप्रिय इस नेता का नाम है कवासी लखमा. पिछले कई वर्षों से वो छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री भी हैं. विधानसभा में तो वो लोगों का मनोरंजन करते ही हैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में तो उनकी हरकतें कभी-कभी बेजा होने की सीमा लांघने लगती हैं. उनका नया वायरल वीडियो बीड़ी पीने की स्टाइल का है. इस वीडियो में वो एक ग्रामीण की बीड़ी से बीड़ी सुलगाते और नाक से धुआं छोड़ते हुए दिखाई देते हैं. उनके आग्रह पर ग्रामीण भी ऐसा ही करके दिखाता है. दो-तीन दशक पहले तक बच्चे कालेज में जाने के बाद सिगरेट पीने का स्टाइल सीखते थे. अब तो हाईस्कूल के बच्चे भी ठेले पर खड़े होकर बिंदास कश लगाते दिखाई दे जाते हैं. इससे पहले लखमा शराब पीने का सही स्टाइल सिखाते हुए देखे गए थे. वह वीडियो भी खूब वायरल हुआ था. शराब पीने को लेकर लखमा ने कहा था कि शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से वह जानलेवा हो सकता है. जबकि सीमित मात्रा में खूब पानी मिलाकर पीने से शराब सेहत के लिए अच्छी होती है. वैसे जानकार कहते हैं कि जिस ऐब से बचना मुश्किल हो, उसे सलीके से करना सीख लेना चाहिए. पर धूम्रपान कोई अच्छी आदत नहीं है. धूम्रपान को हतोत्साहित करने के लिए शासन के स्तर पर कई उपाय किये गए है. सिगरेट के पैकेट पर मुंह के कैंसर की गंदी सी फोटो छापी जाती है. सिनेमा और डाक्यूमेंटरी के आरंभ में यह घोषणा करना जरूरी होता है कि उसके निर्माता सिगरेट या तम्बाकू के सेवन को प्रमोट नहीं करते. वैसे कई अच्छी आदतों के साथ धूम्रपान भी सनातन से जुड़ा है. भारत में गांजा का चलन रहा है. इसे शिवजी का प्रसाद माना जाता है. आज भी साधु-संतों के अखाड़ों की कल्पना बिना भांग और गांजे के नहीं की जा सकती. मध्यकाल तक सेना भी भांग और गांजा का उपयोग करती थी. देश में तम्बाकू की खेती का आरंभ 1605 ईस्वी में माना जाता है. पुर्तगाली इसे लेकर भारत आए और गुजरात के कैरा और मेहसाना जिलों में इसकी खेती प्रारंभ की. देश में उन दिनों मुगल बादशाह अकबर का शासन था. 1787 में कोलकाता में बोटानिकल गार्डन की नींव रखी गई. यहां तम्बाकू के परिवर्धन और संवर्धन के प्रयास प्रारंभ किये गये. इसके साथ ही गांजा को हाशिए पर धकेलने के प्रयास शुरू कर दिये गये. आजादी के बाद अलग-अलग राज्यों ने इसके खिलाफ कानून बनाए. राजीव गांधी सरकार ने 1985 में इसे देश भर में प्रतिबंधित कर दिया. इस तरह औषधीय गुणों वाला गांजा प्रतिबंधित हो गया और कैंसर जैसी भयानक बीमारी देने वाला तम्बाकू चलन में रह गया. तम्बाकू पीने वाला न केवल अपना नुकसान करता है बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी चपेट में ले लेता है. इसलिए लखमा की यह हरकत विपक्ष सहित सभी को नागवार गुजरी है.

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