Research on Petro Pollution

हेमचंद विवि में पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन प्रदूषण कम करने संबंधी शोधकार्य

दुर्ग। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में आज माइक्रोबायोलाॅजी विषय के पीएचडी वायवा में अतिदक्ष पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन डिग्रेडिंग बैक्टिरिया के द्वारा ऑयल प्रदूषित क्षेत्रों में प्रदूषण कम करने संबंधी व्यवहारिक शोधकार्य का प्रस्तुतिकरण किया गया। लाइफ साइंस संकाय का यह प्रथम पीएचडी वायवा था।
विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव एवं पीएचडी सेल प्रभारी, डाॅ. प्रीता लाल ने संयुक्त रूप से बताया कि शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी महाविद्यालय शोधकेन्द्र की छात्रा लुमेश्वरी साहू ने अपने शोधनिर्देशक साइंस काॅलेज, दुर्ग के वनस्पतिशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष, डाॅ. रंजना श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में अपने शोधकार्य को प्रस्तुत करते हुए बताया कि उन्होंने दुर्ग, भिलाई के 10 चिन्हित ऑयल प्रदूषित क्षेत्रों की लगभग एक फीट गहराई से एकत्रित मिट्टी में विद्यमान लगभग 45 बैक्टिरिया के गुणधर्मोे का अध्ययन किया तथा यह पाया कि इस मिट्टी में दो प्रकार के ऐसे बैक्टिरिया उपस्थित पाये गये जो कि मिट्टी में तेल प्रदूषण को कम करते हैं।
बाह्य परीक्षक के रूप में उपस्थित गुरूघासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के डाॅ. एस. के. साही ने लुमेश्वरी द्वारा किये गये शोधकार्य को समाज के हित में उपयोगी बताते हुए इसे भविष्य में भी जारी रखने की सलाह दी। ऑफलाईन तथा ऑनलाईन रूप से आयोजित माइक्रोबायोलाॅजी के इस पीएचडी वायवा में लगभग 100 से अधिक शोधार्थी एवं प्राध्यापक उपस्थित थें। इस अवसर पर कुलपति, डाॅ. अरूणा पल्टा ने लुमेश्वरी के शोधकार्य से संबंधित अनेक प्रश्न पूछकर रचनात्मक सुझाव दिये। कुलपति ने कहा कि जिस प्रकार कि संदर्भ सूची तथा थीसिस की टाॅयपिंग एवं शोधकार्य का प्रस्तुतिकरण संबंधित शोधार्थी ने प्रस्तुत किया है अन्य शोधार्थियों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए।
पीएचडी वायवा के दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव, भूपेन्द्र कुलदीप, अधिकारीगण, साइंस काॅलेज, दुर्ग से डाॅ. जी. एस. ठाकुर, डाॅ. सतीश सेन, तथा डाॅ. श्री राम कुंजाम सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी उपस्थित थे।

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