NSS NIC at Dongargarh

एनएसएस राष्ट्रीय एकता शिविर के स्वयंसेवकों ने डोंगरगढ़ में किया पर्यावरण अध्ययन

दुर्ग। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की मेजबानी में सोमनी महाविद्यालय, राजनांदगांव में 02 से 08 जनवरी तक आयोजित राष्ट्रीय एकता शिविर के चौथे दिन आज शिविर के लगभग 250 से अधिक प्रतिभागियों ने डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर मां बम्लेश्वरी के दर्शन किये. साथ ही पहाड़ों पर स्थित चट्टानों एवं वनस्पति का गहन अध्ययन किया।
इस शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य की एनएसएस सम्पर्क अधिकारी, नीता बाजपेयी एवं मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ के एनएसएस क्षेत्रीय निदेशक, अशोक श्रोती के मार्गदर्शन में हुआ। विश्वविद्यालय के एनएसएस समन्वयक, डाॅ. आर. पी. अग्रवाल ने बताया कि इस एक दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण के दौरान 14 प्रांतों के 250 से अधिक एनएसएस स्वयं सेवकों को छत्तीसगढ़ की धार्मिक शक्तिपीठ मां बम्लेश्वरी का दर्शन कराया गया। डोंगरगढ़ पहाड़ की लगभग 800 से अधिक सीढ़ियों को चढ़ने के दौरान स्वयं सेवकों में रोमांच के साथ-साथ आपसी भाईचारा तथा सहयोग की भावना का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
डाॅ. अग्रवाल ने बताया कि जिला संगठक डाॅ. लीना साहू तथा शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव के प्राध्यापक, डाॅ. सुरेश पटेल के सहयोग से पूर्ण रूप से आयोजित इस शैक्षणिक भ्रमण के दौरान मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट, डोंगरगढ़ के अध्यक्ष मनोज अग्र्रवाल ने सभी स्वयं सेवकों को डोंगरगढ़ के इतिहास की जानकारी प्रदान करते हुए सभी स्वयं सेवकों एवं कार्यक्रम अधिकारियों को निःशुल्क भोजन कराया। ट्रस्ट द्वारा सभी 50 कार्यक्रम अधिकारियों को निःशुल्क रोपवे की सूविधा भी प्रदान की गई। डाॅ. अग्रवाल ने बताया कि स्वयं सेवकों ने पहाड़ी पर स्थित विभिन्न प्रकार की वनस्पति तथा चट्टानों के नमूने भी एकत्र किये। इनके संबंध में सोमनी महाविद्यालय स्थित शिविर में स्वयं सेवकों को विस्तार से जानकारी प्रदान की जायेगी।
डाॅ. आर. पी. अग्रवाल के अनुसार आज संध्याकालीन सत्र में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में विश्वविद्यालय के कुलसचिव भूपेन्द्र कुलदीप, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डाॅ. प्रशांत श्रीवास्तव, डीसीडीसी डाॅ. प्रीतालाल, उपकुलसचिव डाॅ. राजमणि पटेल, राजेन्द्र चौहान, क्रीड़ा संचालक डाॅ. दिनेश नामदेव, वित्तअधिकारी, सुशील गजभिये, सहायक कुलसचिव डाॅ. सुमीत अग्रवाल, हिमांशु शेखर मंडावी, दिग्विजय कुमार एवं कर्मचारियों ने उपस्थित होकर विभिन्न प्रांतों के लोकनृत्य का आनंद लिया।

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