Workshop on remote sensing and GIS in Science College Durg

तामस्कर स्नातकोत्तर महाविद्यालय में रिमोट सेसिंग एवं जीआईएस पर कार्यशाला

दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के भूगोल एवं भूविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 3 से 10 जनवरी तक रिमोट सेसिंग एवं जी.आई.एस. पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी. प्रथम सत्र में सीजीकॉस्ट के रिसर्च एसोसिएट माखन लाल देवांगन एवं हितेष मालागर ने ने रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस की मूलभूत जानकारी दी एवं रिमोट सेसिंग डेटा डाउनलोड करने के संबंध में मार्गदर्शन दिया।
भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. श्रीनिवास देशमुख ने बताया कि इस कार्यशाला में छत्तीसगढ काउंसिल आॅफ साईंस एण्ड टेक्नोलाॅजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. प्रशांत कवीश्वर एवं डाॅ. अमित दुबे, माखन लाल देवांगन एवं हितेष मालागर रिसर्च एसोसिएट, रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर से भूविज्ञान अध्ययन शाला के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर निनाद बोधनकर, दुर्गा महाविद्यालय, रायपुर के भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. पूर्णिमा शुक्ला, शासकीय महाविद्यालय, खुर्सीपार के डाॅ. आशीष मांझी, शासकीय महाविद्यालय गोबरा नवापारा से डाॅ. तिषा डे, जयपुर से धर्मेश देशमुख, जियो साॅल्यूशन प्रायवेट लिमिटेड से बबिता निषाद, रायपुर से विनीत राजेश लांबे एवं इग्नू नई दिल्ली के प्रोफेसर बेनीधर देशमुख एवं डाॅ. रोहिताष ने व्याख्यान दिए एवं प्रायोगिक सत्र संचालित किए।
उद्घाटन सत्र में प्राचार्य एम.ए. सिद्दीकी ने अपने संबोधन में कहा कि रिमोट सेसिंग एवं जीआईएस के अध्ययन से विद्यार्थियों के लिए बेहतर रोजगार के अवसरों की संभावना है।
द्वितीय दिन के सत्र में डाॅ. आशीष मांझी ने क्यू.जी.आई.एस. साॅफ्टवेयर इन्स्टाॅल करके उसके माध्यम से जियोरिफ्रेंसिंग करने के बारे में प्रायोगिक जानकारी दी। तीसरे दिन बबीता निषाद ने विभिन्न जीआईएस साॅफ्टवेयर्स की जानकारी दी तथा जीआईएस में लेयर्स के बारे में बताया. द्वितीय सत्र में धर्मेश देशमुख ने जियो रिफ्रेंसिंग एवं डिजिटाईजेशन सिखाया तथा इन्टरनेट पर उपलब्ध रिमोट सेसिंग एवं जीआईएस डाटा स्रोतों की जानकारी दी।
चौथे दिन प्रोफेसर मिनाद बोधनकर ने रिमोट सेसिंग एवं जीआईएस के भूमिगत जल अन्वेषण से संबंधित अनुप्रयोग एवं वाटरशेड प्रबंधन में जीआईएस के उपयोग को विस्तार से समझाया। डाॅ. अमित दुबे ने छत्तीसगढ़ काउंसिल आॅफ साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि स्नातकोत्तर विद्यार्थी अपने प्रोजेक्ट एवं डिजर्टेशन के लिए काउंसिल की प्रयोगशाला में मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते है। द्वितीय सत्र में डाॅ. प्रशांत कवीश्वर ने रिमोट सेंसिंगः क्या, क्यों, कैसे विषय पर विस्तार से जानकारी दी.
पांचवे दिन के प्रथम सत्र में डाॅ. पूर्णिमा शुक्ला ने जी.आई.एस के बारे में सारगर्भित जानकारी देकर क्यू.जी.आई.एस के भूगोल एवं भूविज्ञान मेें अनुप्रयोग को समझाया तथा अगले सत्र में श्री विनीत राजेष लांबे ने क्यू.जी.आई.एस. की सहायता से नक्षा बनाना बताया।
छठवें दिन डाॅ. तिषा डे ने गूगल अर्थ का उपयोग करके जी.आई.एस. मैप बनाने के संदर्भ में विस्तार से जानकारी दी एवं प्रयोगात्मक रूप से प्रतिभागियों को क्रमवार यह करना सिखाया। अंतिम दिन प्रोफेसर बेनीधर देशमुख ने इमेज इंटरप्रिटेशन एवं डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग को समझाया एवं डाॅ. रोहिताष ने क्यू.जी.आई.एस. के द्वारा विभिन्न भूमि उपयोग वर्गीकरण एवं अनुप्रयोग बताये।
कार्यशाला के अंत में भूगोल विभाग के विभाागध्यक्ष डाॅ. अनिल मिश्रा ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये एवं यह आषा व्यक्त की कि प्रतिभागी कार्यषाला के दौरान जो सीख,े उसका सतत् उपयोग करेंगे एवं इसके माध्यम से उन्हें बेहतर रोजगार प्राप्त हो सकेगा।
कार्यशाला के सफल संचालन में भूगोल विभाग के प्रशांत दुबे, डाॅ. प्रीतिबाला चन्द्राकर, डाॅ. कीर्ति पाण्डेय, डाॅ. वन्दना यादव, डाॅ. डुमनलाल साहू , डाॅ. ओम कुमारी वर्मा एवं भूविज्ञान विभाग के डाॅ. विकास स्वर्णकार, निखिल कुमार वर्मा एवं कुमारी सना सिद्दीकी का उल्लेखनीय योगदान रहा। कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के प्राध्यापक सनत साहू, दिलीप साहू एवं लतिका ताम्रकार ने प्रयोगशाला सत्रांे के संचालन में सहयोग दिया। कार्यशाला के व्यवस्थापन में दिनेश मिश्र, विजय यादव, बलराम एवं प्रकाश यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

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