कोलकाता कांड के खिलाफ एमजे के विद्यार्थियों ने निकाली मौन रैली
भिलाई। कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में एक महिला डाक्टर के साथ दरिन्दगी एवं हत्या के मामले में आज एमजे कालेज के विद्यार्थियों ने अपना विरोध दर्ज किया. विद्यार्थियों ने काले लिबास कालेज से एक मौन रैली निकाली जो टीआई मॉल का चक्कर लगाकर वापस कालेज लौटी. रैली को एमजे समूह की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर एवं सहायक निदेशक तथा प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने रवाना किया.
रैली से पूर्व कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा पर एक सारगर्भित परिचर्चा का आयोजन किया गया. परिचर्चा में भाग लेते हुए प्राचार्य डॉ चौबे, उप प्राचार्य डॉ श्वेता भाटिया, नर्सिंग कालेज की प्राचार्य डॉ सिजी थॉमस, फार्मेसी कालेज के प्राचार्य राहुल सिंह एवं अन्यान्य प्राध्यापकों ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ हो रही दरिन्दगी पर चिंता जताई.
डॉ विरुलकर ने कहा कि चिकित्सा का क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो 24 घंटे खुला रहता है. यहां बड़ी संख्या में महिला स्टाफ भी काम कर रही होती है. उनकी सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. 2047 तक यदि हम देश को विकसित राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं तो हमें महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को प्राथमिकता में रखना होगा.
डॉ भाटिया ने कहा कि भारतीय संस्कृति महिलाओं को अपनी सुरक्षा आप करने के लिए प्रेरित करती है. यहां छठी इंद्रीय की बातें भी की जाती हैं. इसलिए अपनी सुरक्षा की सबसे पहली जिम्मेदारी हमारी खुद की होती है. हमें इसकी बुनियादी बातों का ध्यान रखना चाहिए.
डॉ थामस ने कहा कि अस्पतालों में डाक्टरों की तरह नर्सों पर भी हमले होते रहे हैं. मुम्बई के एक अस्पताल में एक युवा नर्स पर ऐसा यौन हमला हुआ था कि वह 42 सालों तक कॉमा में रहने के बाद गुजर गई. कार्यस्थल पर महिलाओं को एक दूसरे का ही सहारा होता है. इसलिए हर खतरे को अपने सहकर्मियों से साझा करने चाहिए और उसे सही व्यक्ति को रिपोर्ट भी करना चाहिए.
प्राचार्य डॉ चौबे ने कहा कि ऐसे हमलों को रोकने के लिए हमें अपने स्तर पर भी प्रयास करने होंगे. अदालत, पुलिस और प्रशासन केवल तभी हस्तक्षेप कर सकती है जब कोई घटना हो गई है. यदि घटना की पुनरावृत्ति रोकनी है तो सामाजिक एवं पारिवारिक स्तर पर हमें बहुत गंभीरता से काम करने होंगे.