श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में महाभारत काल के अस्त्र शस्त्र पर परिचर्चा
भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा भारतीय ज्ञान प्रक्रिया के तहत महाभारत काल के अस्त्र शस्त्र के विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य हमारी प्राचीन ज्ञान और परंपराओं की जानकारी युवा वर्ग को देना था ताकि हम अपनी प्राचीन परंपराओं और ज्ञान को पुनर्जीवित कर सकें.
यह कार्यक्रम डीएलएड के विद्यार्थियों के लिए आयोजित किया गया ताकि वे अपने विद्यार्थियों को भी महाभारत काल की समृद्ध विरासत के विषय में जानकारी दें पाएंगे. इस कार्यक्रम में डॉ जयश्री वाकणकर द्वारा पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से महाभारत कालीन विभिन्न अस्त्र और शास्त्रों की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई. उन्होंने बताया कि अस्त्र और शास्त्र में क्या अंतर होता है. महाभारत युद्ध के समय विभिन्न प्रकार के अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग किया गया और उन सभी योद्धाओं के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई जिन्हें इन विशेष अस्त्र और शास्त्र को प्रयोग करने में महारत हासिल थी.
इन दिव्य अस्त्र शास्त्रों की उपयोगिता और इन को निष्क्रिय करने की कला के विषय में भी विस्तृत जानकारी दी गई. सामान्यतया सभी लोग धनुष बाण, दिव्या भाला, तलवार, गदा और ब्रह्मास्त्र आदि इन्हीं के विषय में जानते हैं किंतु इस कार्यक्रम में अग्नेयास्त्र, वज्रास्त्र, दिव्यास्त्र नागास्त्र, विभिन्न प्रकार के चक्र, वायु अस्त्र, अदृश्य अस्त्र, पशुपति अस्त्र और गरुड़ अस्त्र के विषय में बताया गया इन अस्त्र शस्त्रों का वर्तमान टेक्नोलॉजी के साथ संबंध बतलाया गया है
डॉ जयश्री वाकणकर ने कहा कि हमें इतिहास अपनी जड़ों को समझने के लिए, गलतियों से सीखने के लिए और जागरूक नागरिक बनाने के लिए पढ़ना जरूरी है ताकि हम उससे बहुत कुछ सीख सके और देश की सुरक्षा और सम्मान में जरूरत पड़ने पर अपनी आहुति दे सके.
प्राचार्य डॉक्टर अर्चना झा ने कहा कि भारत की संस्कृति आदिकाल से ही अत्यधिक समृद्ध और टेक्नॉलॉजी की दृष्टि से विकसित रही है जिन वस्तू की हम कल्पना भी नही कर सकते उनके साक्ष्य हमारे गाथाओं में मिलते हैं. ऐसे गौरव मयि इतिहास की जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को होनी चाहिए.
एकेडमिक डीन डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रक्रिया के अंतर्गत यह पर बहुत ही सराहनी है जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को आज की टेक्नोलॉजी और पुरानी परंपराओं से सहजता से जोड़ा जा सकता है.
कार्यक्रम में विभाग के समस्त प्राध्यापक गण, डीएलएड विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ शिल्पा कुलकर्णी, श्रीमती मीता चुग एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने अपनी उपस्थिति प्रदान की।