सालों बाद लौट कर आया टीबी, किडनी से जुड़ गई बड़ी आंत
हाइटेक हॉस्पिटल में कोलो-रीनल फिस्टुला की सर्जरी
भिलाई। टीबी ने इस महिला पर सालों बाद दोबारा आक्रमण कर दिया था. इस बार टीबी के चलते उसकी बायीं किडनी और बड़ी आंत आपस में जुड़ गए थे. इसे कोलो-रीनल फिस्टुला कहते हैं. दिक्कत यह हुई कि पहले जिस यूरोलॉजी सेन्टर में उसका इलाज किया गया वहां केवल किडनी के सूजन पर ध्यान दिया गया. टीबी की तरफ किसी का ध्यान गया ही नहीं. इसके चलते समस्या और गंभीर हो गई और मरीज को हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल लाया गया जहां एक जटिल सर्जरी के बाद मरीज के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है.
हाइटेक के यूरोलॉजिस्ट एंड ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ नवीन वैष्णव ने बताया कि महिला को काफी समय पेट के बाएं हिस्से में दर्द था. इसके साथ ही उसका वजन तेजी से गिर रहा था और काफी कमजोरी आ गई थी. पिछले अस्पताल में जांच करने पर किडनी सूजी हुई मिली. वहां से डीजे स्टेंट डाल दिया गया. इसके साथ ही परक्यूटेनस नेफ्रोस्टोमी कर दी गई. पर मरीज की हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ गई. इसके बाद मरीज को हाइटेक हॉस्पिटल लाया गया.
हाइटेक में जांच और पूछताछ से पता चला कि महिला को बचपन में फेफड़े की टीबी हुई थी. उसके भाई को भी यह बीमारी थी. उस समय इलाज से टीबी ठीक हो गया था और लोग इसे भूल चुके थे. दरअसल, यह टीबी के दोबारा लौट कर आने का मामला था. इस बार टीबी ने गैस्ट्रोयूरिनरी सिस्टम अर्थात पाचन संस्थान एवं मूत्र संस्थान पर हमला किया था. बायीं किडनी खराब हो चुकी थी. किडनी के नीचे पस इकट्ठा हो रहा था. इसे सोआस ऐबसेस (Psoas Abscess) कहते हैं. किडनी और बड़ी आंत सट कर आपस में जुड़ गई थी. यहां कोलो-रीनल फिस्टुला बन गया था. इसके चलते एक तरफ जहां मूत्र बड़ी आंत में जा रहा था वहीं बड़ी आंत से विष्टा किडनी तक पहुंच रही थी. इसके चलते संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ था.
डॉ वैष्णव ने बताया कि सबसे पहले टीबी का इलाज किया गया. इसके बिना सर्जरी संभव नहीं थी. यूरोसर्जन डॉ नवीन वैष्णव, गैस्ट्रिक सर्जन डॉ नविल शर्मा, एनेस्थेटिस्ट डॉ नरेश देशमुख की टीम बनी. सबसे पहले बेकार हो चुकी बायीं किडनी को निकाल दिया गया. आमतौर पर सामान्य सी यह सर्जरी इस मरीज में जटिल हो गई थी. किडनी और बड़ी आंत को अलग करना था, ऐबसेस को हटाना था. इसके बाद किडनी को निकाल लिया गया. अंत में बड़ी आंत के उस हिस्से की मरम्मत की गई जहां से किडनी को हटाया गया था. सर्जरी लगभग साढ़े तीन घंटे चली.
मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है और एक दो दिन में उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.