Cowdung artefacts workshop in SSMV Bhilai

शंकराचार्य महाविद्यालय में गाय के गोबर से बने स्वदेशी उत्पादों पर कार्यशाला

भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के सृजन कला केंद्र में कौशल विकास हेतु राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में गाय के गोबर से बने स्वदेशी उत्पादों के निर्माण पर आधारित दो दिवसीय विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को स्थानीय संसाधनों के उपयोग, पर्यावरण संरक्षण, स्वरोजगार, एवं आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रशिक्षित एवं प्रेरित करना रहा.
कार्यशाला के दोनों दिवसों में प्रशिक्षिका श्रीमती रतनी खाल्को द्वारा विद्यार्थियों को गाय के गोबर एवं अन्य स्थानीय, प्राकृतिक सामग्रियों से इको-फ्रेंडली राखियाँ, दीये, घर की सजावटी वस्तुएँ एवं सजावटी वस्तुएँ बनाना सिखाया गया. उन्होंने बताया कि गोबर से बने उत्पाद न केवल पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, बल्कि इनमें एंटीबैक्टीरियल, विकिरण-निरोधक एवं वातावरण को शुद्ध करने वाले गुण भी होते हैं.
विशेष रूप से गोबर से बनाए गए घर की सजावटी वस्तुएँ जिसे घर के अंदर में रेडिएशन को शोषित करने की क्षमता होती है, जिससे उपयोगकर्ता को हानिकारक विकिरण से सुरक्षा मिलती है. साथ ही, ये उत्पाद घर के वातावरण को शुद्ध एवं सकारात्मक ऊर्जा युक्त बनाने में सहायक होते हैं. यह पहल छात्रों के लिए आजीविका के वैकल्पिक साधन के रूप में भी महत्वपूर्ण रही.
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अर्चना झा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार की नवाचारात्मक कार्यशालाएँ न केवल विद्यार्थियों को स्वावलंबन की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं, बल्कि उनके भीतर पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता भी विकसित करती हैं.
डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव (डीन अकादमिक ) ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से छात्रों की रचनात्मकता एवं नवाचार क्षमता को नई दिशा मिलती है, जो उनके सर्वांगीण विकास में सहायक है.
रा. से.यो. की कार्यक्रम अधिकारी विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पा कुलकर्णी ने कहा कि विद्यार्थियों को शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक, जीवनोपयोगी एवं पारंपरिक कौशलों को भी सीखना चाहिए, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं तथा समाज में स्थायी विकास और पर्यावरणीय चेतना फैलाने में सहायक होते हैं.
कार्यक्रम का संचालन एनएसएस अधिकारी द्वारा एवं प्राध्यापकगण—डॉ. जयश्री वाकेंकर, डॉ. नीता शर्मा, श्रीमान ठाकुर रंजीत सिंह ,श्रीमती उज्ज्वला भोंसले, श्रीमती कांक्षीलता साहू एवं —की देखरेख में किया गया. कार्यशाला में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया तथा अपने हाथों से सुंदर, उपयोगी एवं पर्यावरण-अनुकूल वस्तुएँ तैयार कीं.
द्वितीय दिवस पर विद्यार्थियों द्वारा निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों ने भाग लेकर स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी की. यह प्रदर्शनी न केवल विद्यार्थियों के उत्साह एवं आत्मविश्वास को सशक्त करने का माध्यम बनी, बल्कि उन्हें स्थानीय उत्पादों के प्रति गौरव की अनुभूति भी कराई.

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