Do's and dont's of potty habits

दिन में कितनी बार पॉट्टी करना है नार्मल, ये सावधानियां भी जरूरी

भिलाई। भोजन करना और मल-मूत्र का त्याग करना, दोनों ही सेहत के लिए जरूरी है. पर क्या आपको पता है कि हममे से कई लोगों को मलत्याग करने का सही तरीका ही अब तक नहीं पता. मलत्याग करने की गलत आदतों के कारण न केवल आपको कब्ज, बवासीर और ऐनल फिशर हो सकता है बल्कि प्रोलौप्स जैसी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि दिन में कितनी बार पॉट्टी करना चाहिए.

हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ आशीष देवांगन बताते हैं कि मल त्याग करने के दौरान अक्सर तीन गलतियां करते हैं, जो उनकी सेहत को प्रभावित कर सकती हैं. इनमें से पहला है फोन या अखबार लेकर टॉयलेट जाना. इसकी वजह से आप ज्यादा समय तक टॉयलेट सीट पर बैठे रह जाते हैं. इससे मलाशय की नसों पर दबाव बढ़ जाता है जिससे बवासीर और रेक्टल प्रोलैप्स का खतरा बढ़ जाता है.

मलत्याग करते समय दूसरी गलती यह करते हैं कि हम जोर लगाते हैं. मगर इससे पड़ने वाला स्ट्रेन बवासीर, एनल फिशर और प्रोलैप्स जैसी दिक्कतें पैदा कर सकती हैं. सही तरीका यह है कि शरीर को ढीला छोड़ दें और गहरी सांसें लें. इससे बड़ी आंतों एवं मलाशय को ढीला छोड़ने में मदद मिलेगा और मल आसानी से बाहर निकल जाएगा.

जो लोग मलत्याग का वेग आने के बाद भी उसे रोके रखते हैं उन्हें कब्ज हो सकता है. कब्ज अपने आप में कई बीमारियों की जड़ है. इसलिए जब भी आपको टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस हो तो जल्द से जल्द उससे फारिग होने की कोशिश करें. मल-मूत्र त्याग का वेग आने पर उसे अपनी प्राथमिकताओं में शामिल करें.

डॉ देवांगन बताते हैं कि आम तौर पर सभी लोग सुबह-सुबह मल-मूत्र का त्याग करते हैं. पर कई बार उनका पेट साफ नहीं होता. अकसर नित्यकर्म से फारिग होने के बाद भी उसका वेग बना रहता है. ऐसा होने पर तत्काल डॉक्टर से सम्पर्क करें. इसे क्रॉनिक न बनने दें. हालांकि, आधिकारिक तौर पर, मल त्याग की कोई “सामान्य” संख्या नहीं है, लेकिन शोध बताते हैं कि दिन में तीन बार से लेकर सप्ताह में तीन बार तक मल त्याग करना दोनों ही सामान्य  है.

 

(डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह दवा या इलाज का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें.)

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