हेल्थ स्टडी : टांगों की ताकत से जुड़ी है सोचने-समझने की क्षमता
सनातन में पैरों को बड़ा महत्व दिया गया है. चलने फिरने, भागने-तौड़ने, चौकड़ी लगाने से लेकर पैर छूने और दबाने तक इसकी सेहत का ध्यान लगभग सभी उम्र में किया गया है. बच्चों के पैरों की मालिश से शुरू होकर यह सफर जीवन पर्यन्त चलता रहता है. दरअसल, पैरों की सेहत का सीधा संबंध मस्तिष्क के आकार एवं सेहत से भी जुड़ा हुआ है. यदि पैर स्वस्थ और ताकतवर रहेंगे तो आप न केवल डिमेंशिया से बचे रहेंगे बल्कि आपकी संज्ञानात्मक क्षमता भी सुरक्षित रहेगी. एक स्टडी ने सिद्ध किया है कि पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने से संज्ञानात्मक गिरावट से बचे रहते हैं.
उम्र बढ़ने के साथ ब्रेन का सिकुड़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिससे याददाश्त, समझने, सीखने की क्षमता और अन्य संज्ञानात्मक कार्य (Cognitive Function) प्रभावित होते हैं. लेकिन आजकल यह समस्या काफी कम उम्र में देखने को मिल रही है. सही लाइफस्टाइल, फिजिकल एक्टिविटी, अच्छी डाइट, एक्सरसाइज और अच्छी व पर्याप्त नींद दिमाग को स्वस्थ रखता है. इसी से जुड़ी है पैरों की सेहत. पैरों को मजबूत रखकर भी ब्रेन पावर की सुरक्षा की जा सकती है.
अमेरिकी न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट Louisa Nicola ने इसका खुलासा किया. उन्होंने पाया कि जिस महिला के पास अधिक लेग पावर थी, उसकी न केवल संज्ञानात्मक क्षमता बेहतर थी बल्कि टोटल ब्रेन वॉल्यूम भी अधिक था. खासकर हिप्पोकैम्पस नामक क्षेत्रों में. यही वह क्षेत्र है जो उम्र के साथ सिकुड़ता है और अल्जाइमर जैसी दिक्कतें पैदा करता है. मजबूत पैर वाली महिला का कॉग्निटिव फंक्शन जैसे कि सोचने, प्रोसेसिंग स्पीड और एग्जीक्यूटिव फंक्शन जैसे अटेंशन, मेमोरी आदि भी बेहतर था.
शोध में पाया गया कि पैरों की अधिक शक्ति से ब्रेन वॉल्यूम अधिक होती है. इससे संज्ञानात्मक लचीलापन बेहतर होता है. मजबूत पैर मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं. पैरों को मजबूत बनाने के लिए पैदल चलना, साइकिल चलाना, लेग प्रेस जैसी कसरतें की जा सकती हैं.
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह दवा या इलाज का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
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