स्पर्श के चिकित्सकों ने कहा : जल्द ही कुछ नहीं किया तो जनसंख्या ही ले डूबेगी
 भिलाई। आने वाले छह वर्षों में भारत की जनसंख्या विश्व में सबसे अधिक हो जाएगी। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण एक तरफ जहां नवजात शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) की दर कम हुई है वहीं जीवन प्रत्याशा में भी वृद्धि हुई है। यही वजह है कि शहरी परिवारों में एक या दो बच्चों के बावजूद जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इस विषय पर हमने स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल के शिशु रोग एवं स्त्री एवं प्रसूती विशेषज्ञों से चर्चा की। डॉ राघवेन्द्र राय, डॉ संजय गोयल, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रंजन बोपर्डीकर, डॉ सत्येन ज्ञानी, डॉ नीतेश दुआ एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ कीर्ति कौरा से की गई बातचीत का सार यहां प्रस्तुत है। चिकित्सकों ने बताया कि बतौर चिकित्सक हम केवल यही कह सकते हैं कि जन्मदर पर नियंत्रण के बिना न तो जनसंख्या की बढ़ती दर को थामा जा सकता है और न ही इसे कम किया जा सकता है। चिकित्सा के क्षेत्र में नियंतर हो रही प्रगति से आईएमआर और कम होगा तथा लोगों की जीवन प्रत्याशा भी निश्चित तौर पर बढ़ेगी। ऐसे में यदि बच्चे कम पैदा करने के लिए लोगों को प्रेरित नहीं किया गया तो विकास के सभी प्रयास धरे के धरे रह जाएंगे।
भिलाई। आने वाले छह वर्षों में भारत की जनसंख्या विश्व में सबसे अधिक हो जाएगी। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण एक तरफ जहां नवजात शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) की दर कम हुई है वहीं जीवन प्रत्याशा में भी वृद्धि हुई है। यही वजह है कि शहरी परिवारों में एक या दो बच्चों के बावजूद जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इस विषय पर हमने स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल के शिशु रोग एवं स्त्री एवं प्रसूती विशेषज्ञों से चर्चा की। डॉ राघवेन्द्र राय, डॉ संजय गोयल, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रंजन बोपर्डीकर, डॉ सत्येन ज्ञानी, डॉ नीतेश दुआ एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ कीर्ति कौरा से की गई बातचीत का सार यहां प्रस्तुत है। चिकित्सकों ने बताया कि बतौर चिकित्सक हम केवल यही कह सकते हैं कि जन्मदर पर नियंत्रण के बिना न तो जनसंख्या की बढ़ती दर को थामा जा सकता है और न ही इसे कम किया जा सकता है। चिकित्सा के क्षेत्र में नियंतर हो रही प्रगति से आईएमआर और कम होगा तथा लोगों की जीवन प्रत्याशा भी निश्चित तौर पर बढ़ेगी। ऐसे में यदि बच्चे कम पैदा करने के लिए लोगों को प्रेरित नहीं किया गया तो विकास के सभी प्रयास धरे के धरे रह जाएंगे।
चिकित्सकों ने बताया कि सरकार के अथक प्रयासों से प्रसूती की सुविधाओं में कई गुणा वृद्धि हो चुकी है। ग्रामीण महिलाओं के संस्थागत प्रसव के मामले बढ़ रहे हैं। गर्भवतियों की बेहतर देखभाल हो रही है। यह एक निरन्तर प्रयास है और आने वाले समय में आईएमआर बहुत कम हो जाएगा।
जनसंख्या की बढ़ती दर को रोकने के सवाल पर वे कहते हैं कि इसका एकमात्र तरीका एक ही बच्चा पैदा करने के लिए लोगों को प्रेरित करना हो सकता है। शिक्षा को ग्रामीण स्तर तक ले जाना होगा। केरल में जहां साक्षरता की दर अच्छी है वहां इसके नतीजे भी दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही बच्चों को दी जा रही सरकारी सुविधाओं को एक बच्चे तक सीमित करना होगा। मुफ्त शिक्षा, सरकारी सहायता तथा अनुदान जैसी सुविधाओं को भी केवल एक बच्चे तक सीमित कर देना होगा।
चीन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां की जनसंख्या विश्व में सबसे अधिक थी। आज भी है पर उन्होंने अब वृद्धि दर को कम कर लिया है। यही वजह है कि 2024 तक भारत  जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। यदि जल्द कुछ नहीं किया गया तो सरकार चाहे कितने भी विकास कार्य कर ले, उन्नत राष्ट्र बनने का हमारा सपना केवल सपना बनकर रह जाएगा।












