Dengue symptoms and risks explained

डेंगू की नहीं है कोई दवा, जागरूकता एवं बचाव ही सर्वोत्तम उपाय

भिलाई। कोविड वायरस की तरह ही डेंगू की भी कोई दवा नहीं है। इसलिए बचाव ही सर्वोत्तम उपाय है। डेंगू से बचाव के लिए नगर निगम अपनी तरफ से पूरी कोशिशें कर रहा है पर आम लोगों के सहयोग के बिना यह सफल नहीं हो सकता। तेज बुखार होने पर इसकी अनदेखी न करें और तत्काल ब्लड टेस्ट करवाएं। उक्त बातें आज हाईटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल के डाक्टरों ने एमजे कालेज एलुमनाई एसोसिएशन एवं लायन्स क्लब भिलाई वामा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “हेल्थ टॉक” में कहीं।इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ राजेश सिंघल ने आरंभ में डेंगू के चार सीरोटाइप्स की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसी एक सीरोटाइप का डेंगू होने के बाद जब व्यक्ति ठीक हो जाता है तो वह उस खास सीरोटाइप से जीवन भर के लिए सुरक्षित हो जाता है। पर अन्य सीरोटाइप से उसके संक्रमित होने का खतरा तब भी बना रहता है। इसलिए व्यक्ति को दोबारा डेंगू हो सकता है। वह व्यक्ति को कहीं भी काट सकता है। डेंगू होने पर तीव्र ज्वर होता है, मांसपेशियों और हड्डियों में भीषण दर्द होता है। आंखों के पीछे भी भयंकर दर्द हो सकता है।
श्वांस रोग विशेषज्ञ इंटेंसिविस्ट डॉ प्रतीक कौशिक ने कहा कि डेंगू का मच्छर कितना उड़ सकता है इस बहस में जाने का कोई मतलब नहीं है। डेंगू का संवाहक मच्छर एडिस इजिप्टी 60 किलोमीटर तक उड़ सकता है। सामान्यतया डेंगू मामूली दवाओं से ठीक हो जाता है। पर माडरेट एवं सीवियर में खतरा बढ़ जाता है। प्लैटलेट्स कम होने लगते हैं, आंतरिक रक्तस्राव शुरू हो जाता है। ऐसे में रोगी को प्लेटलेट्स चढ़ाना जरूरी हो जाता है। बीमारी अधिक उग्र होने पर मरीज की जान को भी खतरा होता है।
उन्होंने एम्स नई दिल्ली के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जब डेंगू दिल्ली में फैला था तो हजारों मरीज निकल आए थे। डाक्टरों को पहली बार इस बीमारी से जूझने का अनुभव हुआ था। डेंगू के गाइडलाइन्स वहीं तैयार किया गया था जिसका पालन देश भर में किया जाता है।
ईएनटी सर्जन डॉ अपूर्व वर्मा ने डेंगू से बचाव के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयासों से इससे प्रभावी तरीके से निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि डेंगू किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। इसका रोग प्रतिरोधक क्षमता से कोई सीधा सम्बंध नहीं है। रक्ताल्पता के शिकार लोगों में डेंगू घातक हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को पपीते का सेवन करना चाहिए। इससे रक्ताल्पता को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है।
जूम पर आयोजित इस ऑनलाइन “हेल्थ टॉक” में 100 प्रतिभागी सीधे जुड़े थे जिन्होंने सवाल कर अपनी जिज्ञासा शांत की। एमजे स्कूल की प्रधान अध्यापिका मुनमुन चटर्जी, पामेला बोस आदि ने भी सवाल पूछे। अंत में एमजे कालेज के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने हाईटेक हॉस्पिटल के चिकित्सकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आजकल सोशल मीडिया पर इतनी अलग अलग बातें शेयर की जाती हैं कि लोगों के मन में उलझन पैदा हो जाती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि चिकित्सकों से सीधे संवाद से उलझनें कुछ कम हुई होंगी। कार्यक्रम में लायन्स क्लब भिलाई वामा की अध्यक्ष अर्चना त्रिपाठी ने सक्रिय योगदान किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *