Drug Resistance in a invisible monster

एक गंभीर चुनौती है ड्रग रेसिस्टेंस, ऐसे बचें – डॉ वाजपेयी

भिलाई। ड्रग रेसिस्टेंस किसी भी उम्र के रोगी को प्रभावित कर सकता है। यह चिकित्सकों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसकी वजह से न केवल इलाज काफी महंगा हो जाता है बल्कि कई बार ऐसी स्थितियां पैदा हो जाती हैं कि रोगी की जान पर बन आती है। कोविड से उबरने वाले रोगियों में इसका खतरा ज्यादा हो सकता है। इसे अदृश्य राक्षस भी कहा जाता है। यह कहना है हाईटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ सोनल वाजपेयी का। वे फार्मेसी डे के अवसर पर हेल्थ केयर वर्कर्स को संबोधित कर रहे थे।डॉ वाजपेयी ने बताया कि ड्रग रेसिस्टेंस एक बेहद खतरनाक स्थिति है जब कोई विकल्प नहीं रह जाता। हाइटेक के इंटेंसिविस्ट डॉ वाजपेयी ने बताया की दवाओं के बेधड़क इस्तेमाल से तीन तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। एक तो टालरेंस है जिसमें लगातार डोज बढ़ाते जाना पड़ता है। ऐसा अकसर सेडेटिव्स के साथ होता है। दूसरा है टैकीफाइलेक्सिस जिसमें दवा धीरे धीरे रोगी पर बेअसर होने लगती है। तीसरा है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस। आम तौर पर अपर्याप्त डोज, कोर्स पूरा नहीं करना, गलत दवाइयों का इस्तेमाल इसका कारण होते हैं।
उन्होंने कहा कि दवाइयों का अनावश्यक प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके लिए आम लोगों के साथ ही चिकित्सकों को भी सतर्कता के साथ काम करना होगा। साधारणतया एंटीबायोटिक का उपयोग तीन तरह से किया जाता है। पहला है प्रोफिलैक्टिक जिसमें संभावना के आधार पर दवा शुरू की जाती है। दूसरा है एम्पीरिकल जिसमें संक्रमण तो होता है पर बैक्टीरिया की पहचान नहीं होती। ऐसे मामलों में ब्रॉडस्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। तीसरा है रैडिकल जिसमें ज्ञात बैक्टीरिया पर असर करने वाली दवा का उपयोग किया जाता है।
रोगी के स्तर पर लापरवाही भी ड्रग रेजिस्टेंस का कारण बन सकती है। आम तौर पर दिन में तीन या चार बार निश्चित अंतराल में ली जाने वाली दवाओं को लेकर लापरवाही हो जाती है। इसमें सावधानी बरतने की जरूरत होती है। दिन में तीन बार औषधि का मतलब 8-8 घंटे के अंतराल पर दवा लेना है। दो बार का मतलब 12-12 घंटे के अंतर पर। जल्दी जल्दी लेने पर रात के अंतराल लंबा हो जाता है। ओवर द काउंटर सेल्फ मेडिकेशन भी इसका एक कारण है। इसमें न तो डोज का पता होता है और न ही कोर्स का। कुछ चिकित्सक मरीज को जल्द ठीक करने की ह़ड़बड़ी में गड़बड़ी कर बैठते हैं। जहां बेसलाइन एंटीबायोटिक से काम चल सकता है वहां हायर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *