हाइपरटेंशन को हल्के में न लें, बन सकती है मुसीबत
भिलाई। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही शहरी क्षेत्रों में घर-घर बीपी मशीन दस्तक दे चुकी है। बावजूद इसके हाइपरटेंशन के अधिकांश मरीजों का रक्तचाप नियमित जांच के अभाव में अनियंत्रित बना रहता है और हार्ट अटैक तथा स्ट्रोक का कारण बनता है। हार्ट अटैक के 10 में से 7 मरीज हाईपरटेंशन के शिकार होते हैं। यही नहीं स्ट्रोक के 10 में से 8 मरीज भी हाईपरटेंशन से ग्रसित होते हैं। हाइपरटेंशन को हल्के में लेना मुसीबत का कारण बन सकता है।
हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आकाश बख्शी ने कहा कि हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप के कारणों का हालांकि ठीक-ठीक पता नहीं है पर रोगियों को दो धाराओं में बांटा जा सकता है। गलत खान-पान, दोषपूर्ण जीवनशैली, बढ़ती उम्र, मोटापा आदि इसके प्राथमिक कारण हैं। 50 से अधिक उम्र के लोगों में यह आम है। हाइपरटेंशन की दूसरी वजह कोई बीमारी या औषधि हो सकती है। सामान्य तौर पर अधिक नमक का सेवन, आरामतलब जीवनशैली, धूम्रपान, मोटापा, शराब और तनाव को इसका कारण माना जाता है।
वहीं न्यूरोलॉजिस्ट डॉ नचिकेत दीक्षित ने कहा कि उच्च रक्तचाप के कारण मस्तिष्क में रक्तस्राव हो सकता है जिसके चलते मरीज को लकवा मार सकता है। रक्तचाप को नियंत्रण में रखकर इस समस्या से बचा जा सकता है।
यह हैं खतरे
रक्तचाप को यदि नियंत्रण में नहीं रखा जाए तो यह फेफड़ों में पानी भरने, नजर कमजोर होने, किडनी के क्षतिग्रस्त होने के रूप में सामने आ सकता है। याददाश्त जा सकती है, यहां तक कि लकवा भी मार सकता है।
हाइपरटेंशन के आरंभिक लक्षण
सिर में दर्द, सांस फूलना, नाक से खून आना, घबराहट महसूस होना तथा गर्दन या सिर में हृदय के स्पंदन को महसूस करना आदि शामिल है। ऐसी स्थिति में तत्काल चिकित्सकीय मदद लें। चिकित्सक के नियमित सम्पर्क में रहें तथा उनके बताए अनुसार ही औषधि का सेवन करें।