Mental patients on the rise in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ की आबादी का 11वां भाग मानसिक विकारों से ग्रस्त, जागरूकता जरूरी

दुर्ग। छत्तीसगढ़ की 11.7 फीसदी आबादी मानसिक विकारों से ग्रसित है. राष्ट्रीय स्तर पर यह संख्या आबादी की 10.6 फीसदी है. कोविड काल के दौरान राज्य में आत्महत्या और नशाखोरी के मामलों में भी लगभग 30 फीसदी का उछाल आया है. जागरूकता के अभाव में स्थिति बिगड़ती जा रही है. अधिकांश रोगी तभी अस्पताल लाये जाते हैं जब चिकित्सा सेवाओं की पूर्ण उपयोगिता सिद्ध नहीं हो पाती.Mental Health Counsellors
सेन्ट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेन्टल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस ‘सिम्हान्स’ के संचालक एवं प्रसिद्ध मनोरोग चिकित्सक डॉ प्रमोद गुप्ता ने बताया कि कोरोना काल के बाद परिवार, कार्यस्थल तथा समाज में कई परिवर्तन हुए हैं जिससे एडजस्ट करने में लोग कठिनाइयां महसूस कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है. यह व्यक्ति की ऊर्जा को रचनात्मक दिशा देकर उत्पादक बनाता है. इसलिए इस वर्ष का थीम रखा गया है ‘सबके लिए मानसिक स्वास्थ्य-वैश्विक प्राथमिकता’.
डॉ गुप्ता ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य की दरकन से आपसी, पारिवारिक एवं सामाजिक संबंध तो बिगड़ते ही हैं कार्यस्थल का माहौल भी खराब होता है. इसका उत्पादन एवं उत्पादकता पर भी असर पड़ता है. किशोरवय तक के बच्चों में जहां हिंसा के प्रति बढ़ता रुझान दिखाई देता है वहीं प्रौढ़ एवं बुजुर्ग आबादी में स्वयं के प्रति नकारात्मक दृष्टकोण, नशाखोरी एवं आत्महत्या की प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं. वृद्धावस्था में अकेलापन, परिवार से अलगाव और मनोव्यावहारिक समस्याएं पैदा हो रही हैं. ‘सिम्हान्स’ इस दिशा में जागरूकता लाने के लिए अनेक कार्यक्रम करता है. इस साल बीआईटी सभागार में 10 अक्टूबर को एक प्रदेश स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है जिसमें मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों पर गहन विमर्श किया जाएगा.
‘सिम्हान्स’ के सलाहकार डॉ अशोक त्रिवेदी के अनुसार छत्तीसगढ़ में भी मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इनमें अवसाद के मरीज भी शामिल हैं. अपने सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ की 11.7 फीसदी आबादी किसी न किसी मानसिक विकार से ग्रस्त है. चिंता की बात यह है कि इसमें बड़ी संख्या में शहरी तथा अर्धशहरी इलाकों के बच्चे और युवा शामिल हैं. यदि इसपर जल्द ही ध्यान नहीं दिया जाएगा तो यह समाज और पुलिस दोनों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनकर उभरेगा.

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