International seminar on IPR at SSSSMV

अपने क्रिएशन का कॉपीराइट एवं पेंटेंट लेकर करें उसकी सुरक्षा – कुलदीप

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का समापन समारोह भूपेन्द्र कुलदीप, कुलसचिव हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। श्री कुलदीप ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने सृजन का कॉपीराइट व पेटेंट ले अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है। आप अपना स्टार्टअप प्रारंभ करते हैं तो आपका उसके ट्रेड नेम और लोगो का पेटेंट करा सकते है अपने खोज को व्यवसायिक रूप दे सकते है।
सीईओ स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय डॉ. दीपक शर्मा विशिष्ट अतिथि थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. मोनिषा शर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री शंकराचार्य नर्सिग महाविद्यालय ने की। यह आयोजन महाविद्यालय के बॉयोटेक विभाग, आईक्यूएसी एवं छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक, शोधार्थी व विद्यार्थी शामिल हुए। मंच संचालन स.प्रा. संजना सोलोमन व स.प्रा. अपूर्वा शर्मा ने किया धन्यवाद डॉ. शिवानी शर्मा, विभागाध्यक्ष बायोटेक ने दिया।


दूसरे दिन के प्रथम तकनीकी सत्र के मुख्य वक्ता श्री सतीष कुमार, सहायक निर्देशक एमएमएमई भारत सरकार ने पेटेण्ट फाइल कैसे करें व उसका फायदा क्या है पर विस्तृत जानकारी दी। पेटेण्ट फाइल करने से सरकार 18 महीने में प्रकाशित कर देती है वह कैसे भी हो पर उसका पेटेण्ट मिले यह आवश्यक नहीं है पेटेण्ट के लिये शोध नया तथा इंडस्ट्री के लिये उपयोगी होना चाहिए। यू पीन जैसी छोटी वस्तु का भी पेटेण्ट हो सकता है कोका कोला का ब्रैंड नाम से पेटेंट है। हल्दी, बासमती चावल का पेटेंट भारत के पास है।
वक्ता श्री अमित दुबे, वैज्ञानिक डी, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर ने बताया आईपीआर का भी प्रदेश में एक इकोसिस्टम होना चाहिए जिससे शोधकर्ता के अधिकारों की रक्षा हो सकें। पुराने समय में कला दूसरे तक न पहुंचे इसलिये ताजमहल बनाने वालों का हाथ काट लिया गया, एकलव्य का अंगूठा काट लिया गया इससे व्यक्ति के साथ उसकी कला या हुनर समाप्त हो जाती है अत हुनर और कला व्यक्ति विशेष के बाद भी दुसरे लोगो तक पहुचे इसलिए पेटेंट और कॉपीराइट का प्रावधान है। वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था में आईपीआर बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे ज्ञान, आईडिया को कोई चुरा न ले इसके लिये आईपीआर आवश्यक है यह निर्माणकर्ता के अधिकारों को कानूनी संरक्षण, प्रदान करता है। प्रोडक्ट और प्रोसेस आईपीआर का मूल तत्व है, कोई भी तकनीकी विश्व में एक जैसी नही होती है कटिंग प्लायर के छप्पन हजार पेटेण्ट है सबके डिजाइन में अंतर है।
श्री पंकज बोरकर, संयुक्त निंय़त्रक पेटेंट एण्ड डिजाईनिंग आईपीओ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार ने पेटेण्ट के प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुये भारत में हुये पेटेंट की जानकारी दी व पेटेंट में लगने वाली राशि व प्रक्रिया को विस्तार से समझाया, उन्होंने बताया लोगों के मन में धारणा होती है बड़ें अनुसंधान या चीजों का पेटेण्ट होता है. उन्होंने बताया छोटी सी छोटी खोज व अविष्कार जो समाज के लिए लाभदायक हो, उसका हम पेटेंट करा सकते है, चाहे वह मजदूरों के कार्य को सरल बनाने वाले औजार हो या वर्चुअल स्कूल बैग। कार्यक्रम के समापन सत्र में डॉ. शिवानी शर्मा, विभागाध्यक्ष बायोटेक ने संगोष्ठी में उभरे बिदुओं को प्रतिवेदन के रूप प्रस्तुत किया।
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा व डॉ. मोनिषा शर्मा, प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने समसामयिक विषयों पर कार्यक्रम आयोजन के लिये आईक्यूएसी एवं बायोटेक विभाग को बधाई दी।
दो दिवसीय शोध संगोष्ठी का फीडबैक डॉ. शैलजा पवार, स.प्रा. शिक्षा विभाग, डॉ. जया शर्मा, रिसर्च स्कॉलर बायोटेक्नोलॉजी, साईंस कॉलेज, मुस्कान शोधार्थी रूंगटा कॉलेज ने दिया सभी ने कहा कि महत्वपूर्ण विषय पर संगोठी के आयोजन से पेटेंट और कॉपीराइट को लेकर सभी भ्रम दूर हुए और इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई जो हमारे लिए उपयोगी है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. रजनी मुदलियार विभागाध्यक्ष, रसायनशास्त्र, श्री जे.पी. साहू स.प्रा. कम्प्यूटर साईंस, स.प्रा. मोनिका मेश्राम, स.प्रा. सीमा राठौर रसायनशास्त्र ने विशेष योगदान दिया।

 

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