How to keep your eyes safe in the digital world

फोन, टैब बने बच्चों के बेस्ट फ्रेंड, बढ़ रही आंखों की समस्या

भिलाई। नए दौर में मोबाइल फोन और टैब बच्चों के बेस्ट फ्रेंड बने हुए हैं. इन्हें लेकर वे घंटों सोफा या बिस्तर पर पड़े रहते हैं. यह न केवल उनका सामान्य स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है बल्कि इसके चलते उनकी आंखों में भी गंभीर विकार उत्पन्न हो सकते हैं. यह कहना है हाईटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ ऋचा वर्मा का.
डॉ ऋचा बताती हैं कि आज अधिकांश पेरेन्ट्स अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते. वे खुद भी मोबाइल में उलझे रहते हैं औऱ बच्चा उनकी नकल उतारता है. इसके कारण बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी खत्म सी हो गई है. इसका उसके स्वास्थ्य और भावी जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. लगातार बहुत करीब से फोन या टैब देखने या सोफे में पड़े पड़े टीवी देखने के कारण आंखों में कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो सकती हैं. ऐसे बच्चे किताब या कॉपी को भी आंखों के काफी करीब लाकर पढ़ते हैं. क्लास रूम में भी ऐसे बच्चों को पीछे की बेंचों से देखने में दिक्कतें आ सकती हैं.
डॉ ऋचा बताती हैं कि बच्चे की हरकतों पर नजर रखकर इसे समय पर पकड़ा जा सकता है. यदि बच्चा टीवी देखते समय सिर को तिरछा कर ले या एक आंख को बंद कर ले, उसकी क्लास वर्क की कॉपी हमेशा अपूर्ण मिले तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए.
आंखों की सुरक्षा के लिए डॉ ऋचा बताती हैं कि स्क्रीन टाइम को जितना हो सके कम करने की कोशिश करनी चाहिए. आईटी प्रोफेशनल्स सहित ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को, जो कम्प्यूटर पर काम करता है, उसे हर 20 मिनट में कम से कम 30 सेकण्ड का एक शार्ट ब्रेक लेना चाहिए. स्क्रीन औऱ कमरे की रोशनी का ब्राइटनेस एक जैसा रखने की कोशिश करनी चाहिए. आंखों में किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर तत्काल नेत्र रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए।

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