व्यक्तित्व विकास में नृत्य कला की भूमिका महत्वपूर्ण – डॉ. सरिता
दुर्ग। नृत्य कला की व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। छात्र-छात्राओं को नृत्य कला की बारीकियों को ध्यान में रखकर किसी भी प्रदेश की लोक संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए। उक्त बातें प्रसिध्द कत्थक नृत्यांगना एवं प्रशिक्षक डॉ. सरिता श्रीवास्तव ने शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग में राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यशाला में कहीं।
डॉ. सरिता ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक नृत्यों कर्मा, ददरिया, सुवा नृत्य आदि से संबंधित बारीकियों की चर्चा करते हुए पारंपरिक लोक नृत्यों की वास्तविकता एवं मूल भावना को बनाये रखने पर जोर दिया। कार्यशाला में उपस्थित छात्राओं ने प्रायोगिक चरण में स्वयं डॉ. सरिता द्वारा बताये गये नृत्य के विभिन्न चरणों को स्वयं कर देखा।
कार्यशाला के आरंभ में राष्ट्रीय सेवा योजना की अधिकारी डॉ. मीना मान ने अतिथि का परिचय एवं नृत्य कला पर आधारित कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.के. राजपूत ने एन.एस.एस. इकाई की इस रचनात्मक कदम की प्रशंसा करते हुए कहा कि महाविद्यालय में छात्राओं को शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रखने हेतु व्यायाम एवं नृत्य पर केन्द्रित और कार्यशाला एवं आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किए जायेंगे। कार्यशाला के प्रतिभागी छात्राओं ने नृत्य कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी बताया।