अगले साल धमतरी में होगी हरा, लाल, काला औषधीय चावल की खेती

Black rice in Chhattisgarh Dhamtariधमतरी। कोदो-कुटकी के बाद अब धमतरी जिले में भी जिंक, हरा, लाल, काला औषधीय चावल की जैविक पद्घति से खेती होने लगी है। अगले साल से इसका वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। ब्लैक राइस की खेती की शुरुआत छत्तीसगढ़ राज्य में धमतरी जिले में हुई है। सिक्किम से बीज मंगाकर खरीफ सीजन में खेती की गई। हरे चावल की खेती को बढ़ावा देने कृषि एवं रिफार्मा एक्सटेंशन आत्मा योजना के तहत बीज तैयार कर रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लैक राइस (करघनी) देशी प्रजाति के औषधीय धान के बीज है। इसमें कैंसर प्रतिरोधी मिनरल्स खनिज, एंथ्रोसाइनीन नामक वर्णक, फास्फोरस, कैल्शियम खनिज, एंटीआक्सीडेंट, एंटीएजेंट,जिंक पाए जाते है। इस चावल को खाने से कैंसर की बीमारी नहीं होती। शुगर, बीपी, हृदय से संबंधित बीमारियां नहीं होती। शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। लाल चावल (दांवर एवं साटका) देशी प्रजाति में आयरन, फोलिक एसीड,जिंक तत्व पाया जाता है। यह चावल एनीमिया, सिकलिन, गर्भवती महिलाओं, कुपोषण मुक्ति के लिए लाभदायक है।
लाल, काला, हरा और जिंक किस्म औषधीय चावल की खेती से प्रदेश समेत जिले के अधिकांश किसान वाकिफ नहीं है। 90 फीसदी से अधिक किसानों ने एैसा चावल न सुना है न देखा है। इस क्वालिटी की चावल सेहत के लिए फायदेमंद है। महंगा दाम सुनने के बाद भी कई किसान इस औषधीययुक्त चावल की खेती करना पसंद करेंगे। धमतरी जिले के कुरुद और नगरी ब्लाक में काला और लाल औषधीय चावल खेती की शुरुआत हो चुकी है।
कृषि विभाग में संचालित आत्मा योजना के परियोजना उपसंचालक आत्मा एफएल पटेल ने बताया कि ब्लैक राइस की खेती छत्तीसगढ़ के सिर्फ धमतरी जिले में कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम के तहत शुरू की गई है। विभाग ने सिक्किम से प्रति किलो 500 रुपए में बीज मंगाकर इसकी शुरुआत की है।
ब्लैक व लाल राइस की खेती खरीफ वर्ष 2017 में नगरी ब्लाक के बरबांधा, उरपुटी के किसान बीरसिंग सोरी और कुरुद ब्लाक के हथबंध के किसान थनेन्द्र साहू ने की है। लाल चावल 25 एकड़ में, काला चावल 30 एकड़ में लगाया गया। प्रति एकड़ उत्पादन जैविक पद्घति से करने पर 13 से 14 क्विंटल प्राप्त हुआ। हरे चावल खेती की शुरुआत करने पहल हो चुकी है। पंडरी राव कृदत्त बहुउद्देशीय कृषक प्रशिक्षण केन्द्र धमतरी में हरे चावल का बीज तैयार करने 5 डिसमिल में पौधे लगाए गए थे।
वर्ष 2018 से जिले में इसकी खेती की जाएगी। कुरुद के कोड़ेबोड़ व हथबंद में खरीफ सीजन में 10 एकड़ में जिंक चावल की खेती की गई थी। लाल व हरे चावल के बीज को बस्तर के दंतेवाड़ा से मंगाया गया है।
कई बीमारियों के लिए फायदेमंद
पटेल ने बताया कि जिंक चावल में सामान्य चावल से 15 से 20 प्रतिशत अधिक जिंक पाया जाता है। शुद्घ जैविक पद्घति से उत्पादित इस धान की डिमांड मेट्रोसिटी दिल्ली, मुंबई और बैंग्लुरू में अधिक डिमांड है।

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